Breaking News

बुद्ध के साथ कुशीनगर मे होती है त्रिदेव की पूजा

टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो

इस मन्दिर मे बौध धर्म  के साथ सनातन धर्म का संगम और कहीं नहीं है। यहां दो संस्कृतियों के मेल का यह अनूठा संगम पिछले 24 सालों से झलकता है।
बौद्ध और सनातन संस्कृति के मिलाप के इस अनूठे संगम में वाट थाई मंदिर परिसर में तथागत भगवान बुद्ध के साथ ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां स्थापित हैं। इनकी विशेष पूजा का सिलसिला कभी नहीं रुकता और हर रोज दीपक, अगरबत्ती व कैंडिल जलाकर विशेष पूजन-अर्चन की जाती है।

थाई राज घराने से संचालित इस वाट थाई मंदिर का कुशीनगर के मंदिरों में खास स्थान है। भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर स्थित थाई मंदिर का यह नाम वाट थाई कुशीनारा छरर्मराज है। थाई राजघराने ने वर्ष 1994 में इस मंदिर का निर्माण प्रारंभ कराया।
थाई एंबेसी से संचालित मंदिर परिसर में बौद्ध और सनातन संस्कृति का बेजोड़ संगम स्थापित है। मंदिर निर्माण के दौरान परिसर में ब्रह्मा, विष्णु व महेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा पाठ शुरू की गई।

इसके बाद 2001 में चैत्य (भगवान बुद्ध के अवशेष रखने का खास मंदिर) का निर्माण आरंभ हुआ। इसका लोकार्पण थाई राजकुमारी महाचक्री सिरीन धोर्न के द्वारा किया गया। मंदिर के इस चैत्य में 1898 में पिपरहवा (कपिलवस्तु) सिद्धार्थनगर खुदाई में प्राप्त हुई भगवान बुद्ध की अस्थि रखी गई है। इसे थाईलैंड के राजा ने अंग्रेजों से प्राप्त कर मंदिर परिसर में स्थापित कराया गया।

मंदिर के प्रबंधन से जुड़े अंबिकेश त्रिपाठी बताते हैं कि मंदिर मे बुद्ध के साथ त्रिदेव की भी पूजा होती है।


By अजय कुमार त्रिपाठी

कोई टिप्पणी नहीं

टिप्पणी करने के लिए आप को धन्यबाद!

.................................TIMES OF KUSHINAGAR