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कुशीनगर के रामकोला विधायक समेत 138 पर दर्ज हुआ मुकदमा

टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
 विधायक रामानंद बौद्ध 
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में सड़क जाम व आगजनी के मामले में भारतीय समाज पार्टी के रामकोला विधायक रामानंद बौद्ध समेत 138 लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। जिसमें पुलिस ने 78 लोगों को नामजद और 60 अज्ञात लोगों के  खिलाफ विभिन्न मामलों में मुकदमा दर्ज कर धरपकड़ की कार्यवाही तेज कर दी है। 

जानकारी के अनुसार कुशीनगर के जगदीशपुर बरडीहा निवासी संतोष पांडेय ने पुलिस को तहरीर देकर बताया है कि गांव के ही नौरंग सिंह समेत काफी लोगों द्वारा पुलिस व राजस्व कर्मियों की टीम पर ईंट पत्थर से मारते हुए सरकारी कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया था। इस मामले में पूर्व में ही नौरंग सिंह समेत तमाम लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। बताया जा रहा है कि नौरंग सिंह द्वारा गांजा भी बेचा जाता है। इसी मामले में पुलिस ने गांजे के साथ नौरंग सिंह को गिरफ्तार कर 14 अगस्त को जेल भेज दिया था। 

शिकायकर्ता का आरोप लगाया है कि इससे नाराज रामकोला विधायक रामानंद बौद्ध की अगुवाई में लोगों ने बीते शनिवार को जगदीशपुर बरडीहा में जाम कर आगजनी, लूटपाट एवं तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया। तहरीर के आधार पर अहिरौली बाजार थाने की पुलिस ने विधायक रामानंद बौद्ध, रामसिंह, ज्योतिरादित्य सिंह, राजकुमार कन्नौजिया, व्यास कन्नौजिया, उत्तम सिंह समेत 78 नामजद व 60 अज्ञात समेत 138 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। केस दर्ज होने के बाद अहिरौली बाजार थाने की पुलिस आरोपियों की गिरफ्तार करने में जुटी हुई है।

7 आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने भेजा जेल

इधर दर्ज किए केस में आरोपी बने 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इसमें एनडीपीएस एक्ट में जेल भेजे गए नौरंग सिंह की पत्नी भी शामिल है। गिरफ्तार कर जेल भेजे गए आरोपियों में आजम, यशवंत सिंह, दुष्यंत सिंह, अंजान, अनिल कुमार, सुरेन्द्र गुप्ता, शिवपूजन एवं नौरंग सिंह की पत्नी चन्द्रकला शामिल है।

विरोधी दलों की साजिश में पुलिस ने दर्ज किया है मुकदमा-विधायक
कुशीनगर के रामकोला विधायक रामानंद बौद्ध ने बताया कि पुलिस ने विरोधी दलों की साजिश में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वे शनिवार को हाटा में थे तभी उन्हें किसी ने बताया कि जेल में बंद नौरंग सिंह की मौत हो गयी है। इस पर जब उन्होंने किसी माध्यम से जेल अधीक्षक देवरिया से पता लगाया तो वह स्वस्थ बताया गया। फिर वे जगदीशपुर पहुंचकर आक्रोशित लोगों से इसे अफवाह बता कर उन्हें शांत कराते हुए अपने आवास चले गए। बाद में वहां क्या हुआ पता नहीं है।


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