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कुशीनगर में पंपापूर को खोजने की बकायद शुरू



कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बुद्ध से जुड़े पंपापूर को खोजने की बकायद शुरू हो गयी है। पपउर नाम से प्रसिद्ध यह गांव अगर पंपापूर निकला तो कुशीनगर के तरह पपउर भी बौद्ध श्रद्धालुओ के लिए विशेष हो जायेगा। इस गांव में दो दिन पूर्व जिलाधिकारी ने अपनी देख रेख में खुदायी करवायी जा रही है।

कुशीनगर के पडरौना रामकोला पर ग्रामसभा पपउर इन दिनों काफी सुर्खियों में है। गांव के एक प्राचीन टीले की डीएम की देखरेख में चल रही खुदाई के उपरांत वहां एक चबूतरा एवं शिला पट्टिकाएं तथा बगल के झाडि़यों में कुआं व दीवार मिला है। तीन दिनों से लगातार खुदाई चल रही है।

जिलाधिकारी रिग्जियान सैम्फिल के साथ टीले को देखने आए कुशीनगर बौद्ध मठ के भंते शील प्रकाश व भंते महेंद्र ने भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा इस प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए स्थापित कराई, जिसका विधि विधान से पूजन अर्चन शुरू हो गया।

जानकारी के अनुसार रामकोला थाना क्षेत्र का यह इलाका मल्ल राजाओं का था। बुद्ध के अनुवाई कुशीनगर से तथागत के महापरिनिर्वाण के बाद उनकी अस्थियों के आठ भागों को अपने साथ ले गए। प्रसिद्ध इतिहासकार राहुल सांस्कृत्यान व फाहयान ने पंपापुर, धर्मसेनवा आदि का वर्णन किया है। लोगों का मानना है कि पपउर ही पंपापुर है, धर्मसेनवा जो बगल के गांव इंद्रसेनवा के रूप में है।

 टीले के बगल से बहने वाला नाला कभी हिरण्यवती नदी का स्रोत रहा होगा। हालाकिं अभी तक पूरातत्व विभाग अभी कुछ इसके बारे में कुछ नही कह सका है। पुरातत्व विभाग के शोध के बाद ही वास्तविकता का पता चल पाएगा। वैसे खुदाई के बाद मिले टीले और अवशेषों को देखने के लिए काफी संख्या में लोग आ रहे हैं।
इस स्थल के बारे में रामकोला विकास खंड के ब्लाक प्रमुख शिवशंकर यादव ने कहा कि अगर प्रमाणिक हो जाए कि पपउर ही पंपापुर है तो हमारे विकास खंड के इस गांव का नाम पूरे विश्व में फैल जाएगा।

गांव के सुनील, कमल यादव, मनोज , राजेश , मृत्युंजय, संजीव आदि ने जिलाधिकारी से इस ऐतिहासिक धरोहर के दर्शन के लिए कच्चे को पक्का रास्ता, विद्युत व्यवस्था, गांव के मुख्य द्वार पर इस स्थान का वर्णन एवं बुद्ध की मूर्ति लगवाने का आग्रह किया।

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