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नारायणी नदी के एपी तटबंध को बचाने में लगा विभाग


विभाग ने ड्रोन कैमरे से रिकार्ड कराया नदी की स्थिति 

टाइम्स ऑफ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर। कुशीनगर की सीमा से होकर गुजरने वाली नारायणी नदी के एपी तटबंध पर नदी के कटान से हुई क्षति, स्पर व बंधे की मौजूदा हालत पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए रविवार को ड्रोन कैमरे से नदी की गतिविधियों की रिकार्ड किया गया। 
बाढ़ खंड विभाग ड्रोन कैमरे से रिकार्ड की गयी एपी तटबंध के किमी 12 से 14.500 तक की रिपोर्ट तत्काल शासन को भेजा जाएगा।
ज्ञात हो कि एपी तटबंध पर हर साल हो रहे कटान और बाढ़ पीड़ितों की समस्या को  मुख्यमंत्री ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस समस्या का स्थाई समाधान कराने के लिए नदी की गतिविधियों की रिपोर्ट मांगी है।
जिसको लेकर रविवार को बाढ़ खंड विभाग ने ड्रोन कैमरे से नदी की गतिविधियो को रिकार्ड कराया। यह देख एपी तटबंध के किनारे बाघाचौर के टोला नुनियापट्टी के आसपास लोगों की भारी भीड़ जुट गई थी। एपी तटबंध के किमी 12.500 का मेन स्लोप कट चुका है और यहां नदी का कटान जारी है। 
एक नजर एपी तटबंध यानी अहिरौलीदान से पिपराघाट पर डाले तो यह तटबंध 1954 में बना था। इसकी लंबाई 17.300 किमी है, जो आज गंडक नदी के सीधे निशाने पर है। कुशीनगर के तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के अंतिम गाँव अहिरौलीदान के कचहरीटोला, नुनियापट्टी, मदरही, बाघाचौर, बाक खास, बिरवट, चैनपट्टी, पिपराघाट, नरवाजोत में इस समय भी गंडक नदी का कटान जारी है।  वही गाव बाघाचौर  के टोला नुनियापट्टी के समीप किमी 12.500 पर नदी की धारा का दबाव बढ़ता जा रहा है, और बन्धे का मेन स्लोप कट चुका है। 
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग द्वारा जो कार्य किया जा रहा है, वह बन्धे को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है। यदि बन्धे के बचाव कार्य के लिए कोई ठोस उपाय नही किया गया और कार्य में तेजी नहीं लायी गई तो बन्धे के साथ आसपास के गांवों  को बचाना मुश्किल हो जाएगा। बीते वर्ष साधू सिंह, कमल सिंह, चन्देश्वर सिंह, धनेश्वर सिंह सहित तमाम लोगों के घर नदी की धारा में वह गए हैं।
इस संबंध में बाढ़ खंड के अवर अभियंता सुनील कुमार यादव ने बताया कि ड्रोन कैमरे से तटबंध के अति संवेदनशील जगहों की रिकार्डिंग की गई। इसकी सीडी तत्काल शासन को भेज दी जाएगी।


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