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आपसी सौहार्द का प्रतीक है शाह बूढ़नपीर बाबा का मजार, एक माह चलने वाला मेला शुरू

हरिगोविन्द / शम्भू मिश्रा 
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो।
पडरौना, कुशीनगर। एक तरफ जहां देश में हिंदू और मुस्लिम समुदाय को लेकर अनेक तीखी टिप्पणियां हो रही हैं वहीं कुशीनगर में एक ऐसी जगह है जो दोनों समुदाय की एकता का प्रतीक माना जाता है। पडरौना तहसील के शाहपुर जंगल में स्थित शाह बूढ़नपीर बाबा के मजार पर हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग आते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
लोगों की मान्यता है कि इस मजार पर पाक दिल से जो मन्नत मांगी जाती है वह बूढ़न शाहपीर बाबा अवश्य पूरी करते हैं। इस मजार पर यूपी के विभिन्न जिलों के साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार से भी भारी संख्या में जायरीन आते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं। इस मजार पर हर साल लगने वाला सालाना उर्स शुरू हो गया, उर्स शुरू होने के साथ ही एक माह तक चलने वाला मेला भी शुरू हो गया।

पडरौना नगर से लगभग दस किमी दूरी पर  शाहपुर के घने जंगल में स्थित इस मजार के बारे में मान्यता है कि शाह बूढ़नपीर बाबा सऊदी अरब के रहने वाले थे, वह सिद्धि पाने के बाद उन्होंने एकांत खोजना शुरू किया, खोजते वे इस जंगल में पहुंच गए जहां उन्होने अपना ठिकाना बना लिया। इसके बाद उन्होंने यहां लोगों पर उपकार करना शुरू कर दिया।
बाबा ने यहां एक झोपड़ी डालकर रहना शुरू तो कर दिया लेकिन यहां पानी नहीं था जिसके बाद उन्होने अल्लाह से पानी मांगा जिसके बाद नदी घूमकर झोपड़ी के पास से बहने लगी।शाह बूढ़नपीर बाबा के पास मुसलमान और हिंदू दोनों धर्मो के लोग आते थे। इस मजार पर बूढ़नपीर बाबा के साथ एक ब्राम्हण, यादव और एक माली की भी मजार है जिस पर लोग चादरपोशी करते हैं। इस मजार पर आने वाले लोग अपनी मन्नत के रूप में नीम के पेड़ से कपड़ा बांधते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद उस कपड़े को खोलते हैं।इस मजार पर आने वाले लोगों का कहना है कि यहां हर जरूरतमंद की मुराद पूरी होती है।

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