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नरायणी के तबाही से चिंतित है कुशीनगर के दर्जनों गांव


टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरों
कुशीनगर । प्रदेश के उत्तरीय पूर्वी छोर पर नरायणी नदी के किनारे बसे कुशीनगर के दर्जनों गांव मानसून के आने को लेकर चिंतित है। नदी पर पिपराघाट सहित एपी तटबंध का किनारा इन दर्जनों गांवों को पूर्व बर्ष की भांति अभी से प्रभावित करने लगा है।

इन गांवों को लगभग 40-45 सालों से बाढ़ और गरीबी का दंश झेलना पड़ रहा है। ग्रामीणों को इस साल भी प्रशासन से कोई नयी उम्मीद नजर नहीं आ रही है। गांववालों का मानना है कि बाढ़ खंड कुशीनगर उस समय कार्य शुरू कराता है, जब बाढ़ की त्रासदी शुरू हो जाती है।

बताते चले कि नारायणी और बांसी नदी के किनारे पर पिपराघाट सहित एपी तटबंध के नजदीक बसे लगभग 24 गांवों के लोग 40-45 बर्षो से बाढ़ की तबाही से त्रस्त हैं। साल गुजरते गये, सरकारें बदलती गयी लेकिन अफसोस इस तबाही से बचाने वाला कोई विशेष राहत कार्य सामने नही आया। आयी तो केवल तबाही जिससे लोक आज भी जूझ रहे है।

वर्ष 2013 में आई बाढ़ ने तो पिपराघाट की भौगोलिक स्थिति में ही परिवर्तन कर दिया। कई गांव अपना अस्तित्व खो दिये। वर्ष 2012 में भी इसी मंजर के चलते अहिरौलीदान में काफी तबाही मची और ढेर सारे लोगों को अपना बना-बनाया घर अपने ही हाथों तोड़ना पड़ा। इससे पहले वर्ष 2007 में पहली अगस्त को घघवा जगदीश के पास गंडक नदी के ओवरफ्लो होने से बांध टूट गया था और मात्र 24 घंटे के अंदर 35 गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। 9175 परिवारों के साथ 4245 हेक्टेयर फसल भी नष्ट हो गयी। जिसका प्रशासन ने लगभग ढाई करोड़ रुपये की क्षति का आंकलन किया और सहायता राशि वितरित कर सब कुछ शान्त करा दिया।
इस साल मानसून शुरू होने में मात्र कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, जिसको लेकर  लोगों के चेहरे पर पूर्व में हुई तबाही का डर दिखने लगा हैं। पिपराघाट दहारी टोला निवासी कैलाश कहते हैं कि बाढ़खंड कभी पिछली गलतियों से सबक नहीं लेता। काम तभी शुरू करता है  जब स्थिति भयावह हो जाती है।

वही अहिरौलीदान के रमाशंकर का कहना है कि बाढ़खंड के क्रियाकलापों से हमलोग परेशान हैं। क्योंकि अब तक जितना धन बांध बचाने के नाम पर खर्च किया गया है, उससे कम धन में ही पक्के बांध बन गए होते। वही राजदेव का कहना है कि अब तो इस विभाग से विश्वास ही उठ गया है। उपर वाले के ही हाथ में है चाहे हमें वो डूबाये या उबारे।

इस संबंध में बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता वीपी सिंह का कहना है कि बाढ़ बचाव कार्य कई जगहों पर शुरू कर दिया गया है।

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