बड़ा खुलासा : सार्वजनिक हुआ रिजर्व पेपर से बोर्ड परीक्षा कराने का मामला
▪️खबर से
हिली शिक्षा व्यवस्था, डीआईओएस ने किया निलंबन की पुष्टि
अजय कुमार त्रिपाठी
टाईम्स
आफ कुशीनगर व्यूरों।
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित
बोर्ड परीक्षा में धांधली की सनसनीखेज मामला विभाग ने उजागर किया है। विभाग ने अपने
पत्र में इस बात की पुष्टी कर दी कि फाजिलनगर विकासखण्ड के अशोक विद्यापीठ इंटर
कॉलेज, नकटहा मिश्र में रिजर्व पेपर से परीक्षा कराया गया था। इस खबर को टाईम्स आफ
कुशीनगर समाचार पत्र सहित लखनऊ के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों ने इस कारनामें को
उजागर किया था, जिसे शिक्षा विभाग और कुछ बड़े मीडिया संस्थानों ने अफवाह बताने की
कोशिश की। लेकिन अब जब डीआईओएस ने केन्द्र व्यवस्थापक और बाह्य केन्द्र व्यवस्थापक
के निलंबन की पुष्टि कर दी है, जिससे विभाग द्वारा पारदर्शी परीक्षा कराये जाने की
पोल खुल गई। विदित हो कि 1 मार्च 2025 को हाईस्कूल गणित विषय की परीक्षा में रिजर्व
पेपर (822-बीएके) परीक्षार्थियों को दिया गया। यह गड़बड़ी उस वक्त सामने आई, जब कुछ
जागरूक नागरिकों और मीडिया संस्थानों ने इस पर सवाल उठाए। लेकिन प्रशासन ने शुरुआत
में इसे मात्र अफवाह बताकर पचाने का प्रयास किया। जब मामला ज्यादा तूल पकड़ने लगा,
तो डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त ने आनन-फानन में अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज के केंद्र
व्यवस्थापक कश्यप कुमार और जितेंद्र स्मारक इंटर कॉलेज के बाह्य केंद्र व्यवस्थापक
दुर्गेश कुमार यादव को निलंबित कर दिया। हालांकि, शिक्षा विभाग ने अभी तक कोई कड़ी
कार्रवाई नहीं की है, जिससे संदेह और भी बढ़ गया है।
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Dios Kushinagar Sharvan Gupta |
🔴 चुप्पी साधने वालों को लगा
बड़ा झटका
जब इस खबर को टाईम्स आफ कुशीनगर समाचार पत्र और अन्य मीडिया संस्थानों ने
उठाया, तो शिक्षा विभाग और कुछ बड़े मीडिया समूह इसे झूठा बताकर पचाने में जुट गए।
लेकिन अब डीआईओएस के निलंबन आदेश के बाद उन सभी की बोलती बन्द हो गयी है।
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डीआईओएस की भूमिका भी संदिग्ध?
सूत्रों के अनुसार, डीआईओएस ने यह गड़बड़ी उजागर होने
के बाद जल्दबाजी में स्ट्रॉन्ग रूम खुलवाया, जबकि रात में डीएम और सचिव बोर्ड की
अनुमति के बिना ऐसा करना नियमों के खिलाफ है। अगर सीसीटीवी फुटेज और डीआईओएस के
मोबाइल लोकेशन की जांच की जाए, तो सच परत-दर-परत सामने आ सकता है।
🔴 लाखों रुपये
में हुआ मैनेज
सूत्रों का दावा है कि इस कारनामें को दबाने के लिए लाखों रुपये का
लेन-देन हुआ। कहा जा रहा है कि शिक्षा विभाग और विद्यालय प्रशासन के बीच एक मोटे
रकम की सौदे बाजी हुयी। हालाँकि, टाईम्स आफ कुशीनगर इस दावे की पुष्टि नहीं करता,
लेकिन अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, तो बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। जब इस
खबर को सार्वजनिक किया गया, तो कुछ बड़े मीडिया संस्थानों ने सच को दबाने की पूरी
कोशिश की और डीआईओएस का बचाव किया गया। खबर को गलत बताया गया। साथ ही “रिजर्व पेपर
लीक” को अफवाह साबित करने का पूरा प्रयास किया गया। लेकिन जब डीआईओएस ने खुद निलंबन
के आदेश पर दस्तखत कर दिए, तो इस खबर को झूठा बताने वालो की बोलती बन्द हो गयी हैं।
🔴 शिक्षा विभाग पर बड़ा सवाल सिर्फ निलंबन ही क्यों?
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है
कि बोर्ड परीक्षा को पारदर्शी और नकलविहीन बनाने के लिए रिजर्व पेपर का इस्तेमाल
केवल आपातकालीन स्थिति में किया जाता है। लेकिन बिना अनुमति रिजर्व पेपर से परीक्षा
कराना एक गंभीर अपराध है। इसके बावजूद विद्यालय को न तो डिबार किया गया और नही कोई
कानूनी कार्रवाई हुई। परीक्षा निरस्त करने की सिफारिश तक नहीं हुई। स्थानीय लोग और
अभिभावक सहित कई छात्र अपनी दबी जुबान से अन्य अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष
जांच कराई जॉच कराने की मांग कर रहे हैं। 24 फरवरी से 1 मार्च तक जमा सभी
प्रश्नपत्रों की जांच हो ऐसा कह रहे एक अपने आप को पूर्व छात्र कहने वाले रमेश
कुशवाहा ने बताया कि हर साल यहां कुछ न कुछ होता रहता है। फर्क बस यही है। इस बार
पोल खुल गयी। ने कहा कि इसमें केन्द्राध्यक्ष के निलम्बन से कार्यवाही पूरी नही
होती है और भी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो। यह मामला सिर्फ एक
स्कूल की गड़बड़ी नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की सच्चाई को उजागर करता है। अगर
जांच ठीक से नहीं हुई, तो भविष्य में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ और भी बढ़ सकता
है।
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