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रिजर्व पेपर से परीक्षा कराने के मामले में अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज पर गहराया संकट, डीआईओएस की भूमिका संदिग्ध


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 

कुशीनगर।उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षा में रिजर्व पेपर से परीक्षा कराने का सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद जनपद कुशीनगर के शिक्षा महकमे में हड़कंप मच गया है। मामला फाजिलनगर के अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज, नकटहा मिश्र से जुड़ा है, जहां परीक्षा के दौरान रिजर्व में रखे गए अतिरिक्त प्रश्नपत्रों से परीक्षा कराए जाने का आरोप है।

▪️शासन ने लिया संज्ञान

मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त और विद्यालय प्रशासन इस प्रकरण को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, चर्चाओं के बाजार में यह बात जोर पकड़ रही है कि शासन ने प्रकरण को गंभीरता से लिया है और दोषी पाए जाने पर डीआईओएस व विद्यालय प्रशासन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।

▪️कैसे उजागर हुआ मामला?

सूत्रों के अनुसार, 1 मार्च 2025 को आयोजित गणित और नागरिक शास्त्र विषय की परीक्षा के दौरान रिजर्व प्रश्नपत्र से परीक्षा कराई गई। उस समय डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त प्रयागराज जाने के लिए निकले थे। रास्ते में किसी विभागीय कर्मचारी ने उन्हें फोन पर अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज की गड़बड़ी की सूचना दी, जिसके बाद वह बीच रास्ते से वापस लौट आए और रात में ही स्ट्रांग रूम की जांच करने कॉलेज पहुंच गए।गौरतलब है कि डीआईओएस को रात में बिना जिलाधिकारी या बोर्ड परीक्षा सचिव की अनुमति के स्ट्रांग रूम खोलने का अधिकार नहीं है।

▪️शंका के घेरे में डीआईओएस

सूत्र बताते हैं कि डीआईओएस ने रात में स्ट्रांग रूम खोलकर रिजर्व पेपर को सही ठहराने की कोशिश की। इस दौरान वह बिना किसी पूर्व सूचना के हवाई चप्पल पहनकर ही जांच के लिए पहुंचे। यदि इस मामले में सीसीटीवी फुटेज और डीआईओएस के मोबाइल लोकेशन की जांच की जाए, तो पूरे मामले की परत-दर-परत सच्चाई सामने आ सकती है।

क्या है कानून का प्रावधान?

सार्वजनिक परीक्षा की गोपनीयता भंग करने, पेपर लीक या गलत सूचना देने पर अनुचित साधन निवारण अधिनियम 1998 के तहत 10 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यदि कोई संस्था पेपर लीक या नकल में शामिल पाई जाती है, तो उस पर परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जा सकता है और उसकी संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है।


▪️घटना की जांच हो तो खुल जाएगी पोल

सूत्रों का कहना है कि यदि जिलाधिकारी और सचिव बोर्ड परीक्षा द्वारा अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज में 1 मार्च को संपन्न कराई गई परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल को खोलकर किसी अन्य विद्यालय की उत्तर पुस्तिकाओं से मिलान कराया जाए, तो पूरा सच सामने आ सकता है।

▪️डीआईओएस का दावा

डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त ने मामले को मात्र अफवाह बताया है, लेकिन शिक्षा विभाग के अंदरखाने में चर्चाएं तेज हैं कि इस मामले में डीआईओएस और विद्यालय प्रबंधन की मिलीभगत हो सकती है।

▪️प्रबंधक के चाचा बने परीक्षा व्यवस्थापक!

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि डीआईओएस ने अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज के केंद्र व्यवस्थापक कश्यप कुमार को हटाकर गिरजेश कुमार त्रिपाठी को केंद्र व्यवस्थापक बना दिया। गिरजेश कुमार त्रिपाठी कॉलेज के प्रबंधक के चाचा बताए जा रहे हैं। नियम के अनुसार, किसी विद्यालय में प्रबंधक के करीबी रिश्तेदार को केंद्र व्यवस्थापक नहीं बनाया जा सकता।

▪️शासन की सख्ती से बढ़ी बेचैनी

सूत्रों के मुताबिक, शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों और विद्यालय प्रबंधन के बीच इस समय जबरदस्त खलबली मची हुई है।

▪️जनता की मांग – निष्पक्ष जांच हो

इस प्रकरण के बाद जिले के शिक्षाविदों और अभिभावकों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर दोषी बचे, तो इससे शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।

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