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कुशीनगर में गिरने लगा पारा, अलाव के सहारे लोग



टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में सर्द हवाओं के साथ बढ़ती ठंड ने तापमान को 11 डिग्री सेन्टीग्रेट पर पहुचा दिया है।  गिरते तापमान से आम जन जीवन प्रभावित हो गया है। देर तक काम करने वाले मजदूरों की रोजी रेटी पर संकट आ गया है।
शुक्रवार से ही कुशीनगर में शीतलहर प्रभाव दिखने लगा है। ठंड बढ़ने के कारण लोग जगह-जगह दुबके हुए है। ठंड से बचने के लिए लोगों ने अलाव और ऊनी कपड़ों का सहारा लेना शुरू कर दिया। बच्चे और वृद्धजनों की इस ठंड से मुश्किलें बढ़ गई हैं। अस्पतालों में मरीज भी बढ़ने लगे हैं। ठंड के बढ़ते प्रभाव ने कोल्ड डायरिया, खांसी सहित अन्य बीमारियों से लोग प्रभावित होने लगें है। ऐसे में मरीजों की ज्यादा संख्या छोटे बच्चों की है। मरीजों की संख्या निजी अस्पताल हों या सरकारी, सभी जगहो पर बढ़ने लगी है।
गिरते पारे के साथ दोपहर बाद थोड़ी सी धूप देखने को मिल रही है और कुछ देर बाद ही कोहरे के आगोश पूरा वातावरण समा जा रहा है। स्थितियां ऐसी हो गयी है। कि लोग जहां-तहां ठंड से बचने के लिए आग के पास बैठे दिख रहें है। शीतलहर शुुरू होने के साथ ही बच्चों की परेशानी भी बढ़ गई है। ऐसे में गर्म कपड़ों की दुकानों में भी ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई। लोग ठेले-खोमचे से लगायत बड़े शोरूमों में भी अपने परिवार के सदस्यों के लिए स्वेटर, जैकेट सहित अन्य गर्म कपड़े खरीदना शुरू कर दिया। बताते चले कि दिसंबर का आधा महीना बीत चुका है लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कहीं भी सार्वजनिक स्थल पर अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसी दशा में सार्वजनिक स्थलों या अन्य जगह लोग ठंड से बचने के लिए खुद ही रद्दी, लकड़ियां आदि रखकर आग जला रहे है। कई जगह तो राहगीर और अन्य लोग चाय की दुकानों और होटलों में भट्ठियां पर हाथ गरम करते नजर आए। ग्रामीणांचलों में तो स्थिति और भी राराब है। गांवों के गरीब परिवारों के सदस्य अपने दरवाजों पर घास-फूस का अलाव जलाकर ठिठुरते हुए अपनी रातें और दिन गुजारने को विवश हैं। इसका सीधा असर उनकी रोजी-रोटी और दिनचर्या पर पड़ रहा है। उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी है कि अगर लगातार कुछ दिनों तक ऐसी ही ठंडक पड़ती रही तो उन परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
एकाएक बढ़ते ठंड के प्रभाव को देखते हुए डाक्टर भी ठंड से बचने की सलाह दे रहे । ठंड के प्रभाव से आहत डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि शीतलहर या ऐसे ठंड में अस्थमा के रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है। ब्लड प्रेशर बढ़ जाने से फालिज का अटैक भी हो सकता है। ऐसे लोग ब्लड प्रेशर की दवाएं नियमित रूप से लें। हर्ट स्ट्रोक का खतरा भी होता है। इसके अलावा कोल्ड डायरिया, सर्दी जुकाम, खांसी हो सकती है। ज्यादा देर तक ठंड में रहने से हाइपोथर्मिया नाम की बीमारी होने से जान भी जा सकती है। इस स्थिति में शरीर का तापमान काफी नीचे चला जाता है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कमलेश वर्मा बताते हैं कि ठंड से बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है। उन्हें कोल्ड डायरिया, सर्दी-जुकाम और बुखार भी हो सकता है। ऐसी दशा में बच्चों को डॉक्टर से जरूर सलाह लेकर दवा का प्रयोग करे अन्यथा समस्या बढ़ जायेगी।


अजय कुमार त्रिपाठी

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