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बाउल गायनों के साथ लोकरंग का भव्य आगाज


आठ बर्षो से भोजपूरी भाषा के सम्बर्धन व विकास को सर्मपित  है जोगिया गांव
 
अजय तिवारी
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
फाजिलनगर, कुशीनगर । भोजपूरी भाषा के विकास और सम्बर्धन को लेकर विगत आठ बर्षो से आयोजित हो रहा लोकरंग कुशीनगर जिले के जोगिया जनूबी पट्टी गांव में रविवार को विविध कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया।
क्षेत्रीय संस्कृति और भाषा को ख्याति दिलाने के उद्देश्य से आयोजित होने वाले इस लोकरंग कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार एवं समयान्तर पत्रिका के सम्पादक व साहित्यकार पंकज बिष्ट ने किया इस अवसर पर उन्होने लोकरंग पत्रिका का विमोचन किया।
लोकरंग 2015  देश में असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले कुशीनगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों हनुमान प्रसाद कुशवाहा, ब्रह्मदेव शर्मा, मुशी तप्तीलाल और मोती भगत को समर्पित किया गया है।
लोंकरंग का यह आयोजन प्रत्येक बर्ष गैर सरकारी प्रयास से आयोजित होने वाला पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा लोक उत्सव बनता जा रहा है। इस आयोजन ने जोगिया गांव की पहचान लोक संस्कृति की चिंता और इसके संवर्धन का कार्य करने वाले गांव के रूप में बना दी है। हर वर्ष आयोजित होने वाला लोक गीतों, लोक नृत्यों व नाटकों का दो दिवसीय समारोह लोकरंग के आयोजन का यह आठवा वर्ष है। आयोजन के लिए जोगिया गांव एक कला ग्राम के रूप में सजाया गया है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ गांव की मतिरानी देवी, ज्ञानती, लालती, सुभागी, रूक्मीणा और सुशीला द्वारा रोपनी गीत की प्रस्तुति से हुआ। लोकरंग का शुभारम्भ हमेशा गांव के ग्रामीण महिलाओं द्वारा प्रस्तुत कायक्रमों से होता रहा है। यह परम्परा इस बार भी कायम रही और रोपनी गीत से लोकरंग का आगाज हुआ। इस प्रस्तुति के बाद गाजीपुर से आए बंटी वर्मा ने लोकगीत प्रस्तुत किया।
यही नही भोजपुुरी क्षेत्र की दो प्रस्तुतियों के बाद पूर्वांचल में पहली बार पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध बाउल गायन हुआ। बाउल गायन की यह प्रस्तुति बरून दास, अजय दास, नयन अंकुर, काशीनाथ बायन, संजय मंडल और अनंत विश्वास ने प्रस्तुत किया।
बताया जाता है है कि बाउल गायन की परम्परा पूर्वी बंगाल से पश्चिम बंगाल आने-जाने वाले जहाजों पर सवार बाउल गायकों ने शुरू की थी। ये गायक मुसाफिरों को अपने गायन से भक्ति भाव में डूबो देते थे। इस गायन में एक ओर राम कृष्ण से सम्बन्धित धार्मिक भाव छुपे होते हैं तो दूसरी ओर कबीर के फक्कड़पन का प्रवाह होता है।
क्रार्यक्रम में बाउल गायन के बाद कुशीनगर के रजवटिया पश्चिम टोला के रहने वाले रामप्रकाश मिश्र और उनकी टीम ने निर्गुन गायन प्रस्तुत किया। वही मध्य प्रदेश के देवास से आए दयाराम सरोलिया और उनके साथियों ने कबीर और मालवी गायन प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।
कबीर और मालवी गायन के बाद श्याम लाल प्रसाद, बल्ली प्रसाद, विदेशी प्रसाद, प्रभु प्रसाद, नगीना प्रसाद आदि कलाकारों ने पखाऊज प्रस्तुत किया। ये कलाकार कुशीनगर जिले के लाल गुरवलिया गांव के निवासी थे। इसी क्रम में पटना से आए इप्टा के कलाकारों ने शाहिद अनवर द्वारा लिखित और तनवीर अख्तर द्वारा निर्देशित नाटक ‘सुपनवा का सपना’ का मंचन किया। यह नाटक एक तरफ इतिहास की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है तो दूसरी तरफ सत्ता की क्रूरता का वर्गीय विश्लेषण करता है। वही गाजीपुर से आई संभावना कला मंच की टीम ने राजकुमार सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों के सहयोग से गंाव के बखारों, मिट्टी की दीवारों पर लोक चित्र उकेर थे। साथ ही भोजपुरी व हिन्दी के कवियों के कविताओं के पोस्टर भी तैयार कर पूरे गांव में लगाए गए थे। 

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