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कुशीनगर मे गन्ने का पत्ता जलाते समय झुलसने से एक किसान की मौत


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर मे गन्ने का अवशेष जला रहा एक किसान की आग की लपटों से झुलसने गया। जिसकी घटना स्थल पर ही  मौत हो गयी।

कुशीनगर के रामकोला थाना क्षेत्र के परगन छपरा गांव के यादव टोला निवासी रामअधार यादव सोमवार को घर से अपने खेत में गये। गन्ने की फसल काटने के बाद खाली पड़े खेत में गन्ने की पत्तियों व अवशेष को जलाने लगे। देखते ही देखते चारो तरफ आग फैल गयी और रामअधार खेत में ही घिर गये। उसने जान बचाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन आग की लपटों से खेत से बाहर नहीं निकल पाया, और खेत में ही झुलसकर उसकी मौत हो गयी।

दूसरी ओर आग बगल के खेत में खड़ी गन्ने की फसल में पकड़ ली। आग की लपटों को देखकर लोग मौके पर पहुंचे तो रामअधार खेत में मृत पड़ा था। ग्रामीणों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और घटना की जानकारी रामकोला पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

इकलौते बेटे का श्राद्ध कर्म भी नहीं ........

कुशीनगर के रामकोला थाना क्षेत्र के परगन छपरा गांव निवासी रामअधार के हंसते-खेलते परिवार में क्रूर काल की नियति ने विपत्तियों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। जो परिवार अभी एक हफ्ते पहले इकलौते बेटे की मौत के गम से उबर भी नहीं पाया था उसी परिवार का मुखिया भी मौत के मुंह में समा गया।

ज्ञात हो कि उक्त गांव निवासी रामअधार के घर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है। रामअधार की पत्नी काफी दिनों से बीमार है। वह बिस्तर पर पड़ी पड़ी एक तरह से जीवन की अंतिम सांसें गिन रही है। हफ्ता भर पहले एक दिन ऐसा लगा कि रामअधार की पत्नी दुनिया से चल बसेगी। पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए पति ने लकड़ी भी कटवा कर रख लिया। मगर उसकी बीमार पत्नी अभी भी उसी अवस्था में बिस्तर पर पड़ी हुई है। जिस दिन रामअधार लकड़ी कटवा कर रखा उसके दूसरे-तीसरे रोज ही उसके इकलौते बेटे जितेन्द्र यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी।

रामअधार ने ही इकलौते बेटे को मुखाग्नि दी थी और श्राद्ध कर्म करने की तैयारी में जुटा था। सोमवार को गन्ने का अवशेष जलाते समय आग में घिरकर रामअधार की भी मौत हो गयी। रामअधार की मौत होने से पूरा परिवार ही बिखर गया है। अब रामअधार के परिवार में अंतिम सांसें गिन रही बीमार पत्नी के अलावा बेटे जितेन्द्र यादव के तीन नाबालिग बच्चे और बेवा बहू ही रह गये हैं। अब इश्वर इनके साथ क्या करेगा? पूरे गाव मे यही चर्चाएं है।

By सुधा त्रिपाठी

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