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आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहा यह गाँव

टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो ।
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की सीमा पर एक ऐसा गाव बसा है जो आज भी विकास की राह देख रहा है। पानी, बिजली,  साफ-सफाई आदि मूलभूत सुविधाएँ भी यहाँ के नागरिको को नही मिल पाती है।
  
कुशीनगर के विकास खण्ड कप्तानगंज मे गजरा के नाम से प्रसिद्ध इस गांव का राजी टोला आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहा है। 400 की आबादी और तीन सौ मतदाताओं वाले इस टोले में आज भी सड़क, पानी, जलनिकासी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव हैं। आश्चर्य की बात तो यह है इस टोले के लोग अपने टोले के विकास के लिये दो प्रधान चुनते हैं, और ये प्रधान भी दो जिलों के होते हैं।   

जानकारी के अनुसार इस टोले के 17 घर कुशीनगर के गजरा गांव में हैं तो 18 घर महराजगंज जिले के घुघुली ब्‍लॉक के बारीगांव में है सात घर तो ऐसे हैं जिनके आंगन कुशीनगर जिले में हैं तो दरवाजा महराजगंज में है । ऐसे मे दो-दो गांवों और दो-दो प्रधानों के साथ ही दो-दो ब्‍लॉकों का चक्‍कर लगाने को विवश लोगों की समस्‍याओं का कोई अंत होता नहीं दिख रहा है। टोले के लोगों उब चुके है।विकास के अछूतेपन की टीस बार-बार यहाँ के नागरिकों को खतकती है। उनके जिह्वा पर यही शब्द बार-बार उफान मारते है प्रधान तो प्रधान प्रशासन भी दो जिला होने के कारण ध्‍यान नहीं देता है। यही वजह है कि जलनिकासी, पेयजल, प्रकाश, सफाई आदि की समस्‍या बनी हुई है।

उक्त टोले निवासी रामप्रीत कहते हैं कि इस समस्‍या का एक ही समाधान है कि गांव के इस टोले को एक कर दिया जाए। बारीगांव में पूरा टोला कर दिया या सीमांकन कर पूरे टोले को गजरा का हिस्‍सा कर दिया जाए। वही गाव के राकेश का कहना रहा कि सफाई के नाम पर खानापूर्ति होती है। घर कुशीनगर में और दरवाजे का सहन महराजगंज जिले में होने के कारण सरकारी अनुदान भी दोनों जिलों के बीच फंसकर रह जाता है। इसी क्रम मे टोले के रामानंद कहते कि कभी-कभार समस्या को लेकर प्रधान लोग भी एक-दूसरे का क्षेत्र बताकर टरका देते हैं। हालात ऐसे है कि शुद्ध पानी तक नहीं मिल पा रहा है। दो इंडिया मार्का हैंडपंप हैं लेकिन इनसे भी गंदा पानी निकल रहा है। इसी टोले के पारस बताते हैं कि यहां वोट की ही राजनीति होती है। मनरेगा में भी बहुत कम लोगों के जाबकार्ड बने हैं। इस टोले में कम मतदाता हैं और वे भी दो-दो जिलों में बंटे हैं। दो जिलों के बीच होने का खामियाजा इस टोले के लोगों को विकास की कीमत पर भुगतना पड़ रहा है।

By सुधा त्रिपाठी

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