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कुशीनगर में कालाजार से पीड़ितो की संख्या पहुची 70 के करीब

कुशीनगर। केन्द्र सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी कालाजार का भय कम नही हो रहा है। इस जानलेवा बीमारी का ग्राफ निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। कुशीनगर जनपद में जनवरी से अब तक इलाज के लिए आने वाले रोगियों की संख्या 66 तक पहुंच गई है। इस मर्ज के रोगियों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य महकमा भी हैरान है।कुशीनगर के विभिन्न हिस्सों में अभी तक कालाजार के पीड़ितों की संख्या 52 तक पहुंच गई है। इससे सर्वाधिक प्रभावित तरयासुजान इलाका है। तरयासुजान सीएचसी के अंतर्गत आने वाले गांवों में कालाजार से 21 लोग बीमार पड़ चुके हैं। दूसरे नंबर पर कुबेरस्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का क्षेत्र है, जहां 13 लोग इस बीमारी की चपेट में आए। तमकुहीराज सीएचसी के अंतर्गत अब तक 11 व्यक्ति कालाजार की चपेट में आने से बीमार पड़ चुके हैं। वहीं दुदही में इस बीमारी के चार मामले आ चुके हैं। वही रकबा दुलमापट्टी गांव बीमारी के मामले में काफी संवेदनशील माना जाता है। रामकोला और नेबुआ नौरंगिया में एक-एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हुए, जबकि पडरौना क्षेत्र भी इस बीमारी के मामले में कम संवेदनशील नहीं है। यहां भी दस लोग इस बीमारी से पीड़ित हो चुके हैं। नाहरछपरा गांव कालाजार के मामले में संवेदनशील माना जाता है। इस गांव के एक परिवार की एक महिला और उसकी बेटी दो-दो बार बीमार पड़ीं और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इनके अलावा दस मामले पड़ोसी जनपद देवरिया और चार बिहार के भी आए थे। हालांकि यह सभी मरीज अब ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, लेकिन स्वास्थ्य महकमा मरीजों की बढ़ती संख्या से हैरान है। पिछले साल दिसंबर तक कालाजार के 87 मामले आए थे, लेकिन इस वर्ष आठवें महीने तक ही संख्या 66 तक पहुंच गई है।
इस सम्बन्ध में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एसएन पांडेय का कहना था कि अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष कालाजार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इलाज के बाद ठीक होकर घर चले जाने वाले मरीजों का हर महीने फॉलोअप किया जाता है। दवा दी जाती है और कालाजार से प्रभावित गांवों में अल्फा साइपर मेथ्रे नाम की दवा का छिड़काव कराया जाता है। क्योंकि डीडीटी का प्रभाव कम होने से इसकी आपूर्ति बंद हो गई है।
जिला अस्पताल में कालाजार के मरीजों का इलाज करने वाले फिजिशियन डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि अगस्त और सितंबर का महीना इस बीमारी के अनुकूल होता है। क्योंकि यह सैंडफ्लाई मक्खियों के प्रजनन का समय होता है। बचाव और छिड़काव से इस बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है। संयुक्त जिला चिकित्सालय में कालाजार के रोगियों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था है।

उन्होने कालाजार के लक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि यह सैंडफ्लाई यानी बालू मक्खी के कारण होने वाली बीमारी है। इसमें मरीज को बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से आता है। भूख न लगना, शरीर का पीलापन और वजन में कमी आने लगती है। खून की कमी और लगातार बुखार के कारण शरीर काला पड़ने लगता है, जिससे इसे कालाजार कहा जाता है।



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