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कुशीनगर में अन्र्तकलह की स्थित पर फीका पड़ सकता है सपा का रंग

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर। समाजवादी पार्टी में जिले स्तर पर अन्र्तकलहः की स्थित एक बार फिर सपा के रंग फीका कर सकती है। कुशीनगर में दो गुटों में बटे सपा कों विजय श्री का सेहरा पहने के लिए नाको चने चबाना पड़ सकता है। ज्ञात हांे कि प्रदेश में बसपा और सपा गठबन्धन के बाद कुशीनगर संसदीय सीट पर सपा को ही उपने उम्मीदवार उतारना था।  ऐसे में सपा के कददावर नेता बालेश्वर यादव को आशा ही नही पूर्ण विश्वास था कि 2019 के इस चुनाव के लिए कुशीनगर से उन्हे ही प्रत्याशी बनाया जायेगा। इधर समाजवादी पार्टी द्वारा 27 मार्च को कुशीनगर के प्रत्याशी के नाम की घोषणा होते है। वालेश्वर यादव के समर्थक सड़क पर उतर गये और सपा प्रमुख के इस फैसले को गलत बताते हुए नये प्रत्याशी नथुनी प्रसाद के खिलाफ पुतला दहन किया।


टिकट बटवारे के बाद दो गुटों में बटी सपा को प्रुमख रूप से कांग्रेस(ई) के प्रत्याशी पूर्व गृहराज्य मंत्री कुवर आर पी एन सिंह और भाजपा के प्रत्याशी विजय दूबें को हर बुथों पर शिकस्त देनी होगी। अन्यथा की स्थिति में हार तो निश्चित है। चुनाव में सपा के निकटतम प्रतिद्वन्दियों पर एक नजर डाली जाये तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सबल है। क्योकि चुनाव के मामले में भाजपा उम्मीदवार कुशीनगर के खड्डा विधान सभा से कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके विजय दूबे और कांग्रेस(ई) के प्रत्याशी पूर्व गृहराज्य मंत्री कुवर आर पी एन सिंह दोनो ही माहिर है। अपने व्यक्तित्व और व्यक्तिगत प्रर्दशन पर भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार अपने चुनावी प्रतिद्वन्धियों से लोहा मनावा चूके हैं।

इधर सपा उम्मीदवार को अपने कई प्रयासों के बाद भी विजय श्री की तड़प बनी ही रही। सपा और बसपा के गठबन्धन के बाद थोड़ी आशा की किरण फूटी थी कि इस बार सपा के पाले में यह कुशीनगर संसदीय सीट आ सकती है। माना जा रहा था कि बसपा और सपा कार्यकर्ता मिल कर प्रचार प्रसार करतें तो सफलता पक्की होती, लेकिन टिकट बटवारे के बाद उत्पन्न अन्र्तकलहः की स्थिति में सपा को कुशीनगर की सीट लेने के लिए नाको चने चबाने पड़ सकते है। एक तरफ जहां सपा के नथुनी प्रसाद कुशवाहा विरादरी को समेटने का प्रयास करेगें वही अन्र्तकलह की स्थिति में बालेश्वर यादव कुशीनगर के यादवों को सपा से अलग  या चुनाव लड़ने की दशा में अपने तरफ आकर्षित करेगें। ऐसे में बटते वोट के बाद सपा की राह आसान नही होगी।
 हालाकि सपा के इस फैसले से नराज बालेश्वर यादव ने भी निर्दल चुनाव लड़ने लड़ने का मनबना लिया है। जो सपा के लिए घातक साबित हो सकता है। 

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