टाउन एरिया से पडरौना नगर पालिका का सफर
सर्व प्रथम कुशीनगर के पडरौना चुनाव में हेलीकाॅप्टर से वाटे गये थे पर्चे व हैण्डबिल
टाईम्स आफ कुशीनगर
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की सबसे पुरानी टाउन एरिया का गौरव धारण करने वाली पडरौना नगरपालिका ने कई ऐसा इतिहास रचा कि जिसकी चर्चा कई दशको तक चलती रही। सर्व प्रथम इसी टाएन एरिया में चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर से पर्चे, हैंडबिल आदि बंटवाए थे। इसके अलावा इस नगरपालिका के अध्यक्ष की कुर्सी पर ज्यादातर कार्यकाल एक ही कुल के लोगों का रहा है।
बर्ष 1924 में स्तीत्व में आयी इस टाउन एरिया में जगदीशगढ़ रियासत (पडरौना राजघराना) के रायबहादुर राजा बृजनारायण सिंह ने 24 वर्षों तक इसके अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था। वही इस टाउनएरिया के द्वितीय अध्यक्ष डॉ. सीआर सेन गुप्ता की चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर से पर्चे, हैंडबिल आदि बंटवाना आदि कि चर्चा बहुत दिनों तक चलती रही। इसके अलावा इस नगरपालिका के अध्यक्ष की कुर्सी पर एक ही कुल के कई लोगों का दबदबा रहा है।

बताते चले कि पडरौना नगर के पहले चेयरमैन रायबहादुर राजा बृजनारायण सिंह थे, जिन्होंने 24 वर्षों तक अध्यक्ष की कमान संभाली थी। वह पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह व उनके पिता पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सीपीएन सिंह के पूर्वज थे। वर्ष 1950 में पडरौना टाउनएरिया को नगरपालिका का दर्जा मिल जाने के बाद पहले चेयरमैन बिंदेश्वरी प्रसाद जायसवाल हुए और पडरौना नगर क्षेत्र में सीवरेज प्रणाली की स्थापना कराई गयी, लेकिन उनके बाद किसी चेयरमैन ने इस प्रणाली को दुरुस्त रखने की दिशा में प्रयास नहीं किया। इधर 12 अगस्त 1977 से 30 नवंबर 1988 तक पडरौना नगरपालिका काफी चर्चित रही। इतने समय तक जिलाधिकारी इसके प्रशासक रहे। पडरौना नगरपालिका के अध्यक्ष पद पर सर्वाधिक एक ही कुल के लोगों का वर्चस्व रहा।
पडरौना नगरपालिका के चेयरमैन रह चुके नरेंद्र वर्मा बताते हैं कि इस टाउनएरिया के द्वितीय चेयरमैन डॉ. सीआर सेन गुप्ता ने वर्ष 1949 में अपने चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर से पर्चे, हैंडबिल आदि बंटवाए थे। पडरौना रियासत और डीएम का कार्यकाल जहां सबसे अधिक रहा, वहीं सबसे कम कार्यकाल शांति देवी का रहा। पडरौना नगर दो बार प्रशासक नियुक्त रहे। वही एक बार अध्यक्ष पद के विवाद को लेकर हाईकोर्ट को निर्णय लेना पड़ा। अब तक टाउन एरिया से पडरौना नगर पालिका तक के सफर में तीन महिलाओं को अपना प्रतिनिधितव दिया वही नौ बार पुरूषों का प्रतिनिधित्व का दायित्व प्राप्त हुआ।
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