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कुशीनगर में प्रतिदिन दो महिलाओं का होता है उत्पीड़न


टाईम्स आॅफ कुशीनगर व्यूरों
कुुशीनगर।उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में महिलाओं का उत्पीड़न सबसे ज्यादा है।  पुरूष समाज अब हैवानियत पर उतर गया है। कभी लक्ष्मी के रूप में देखे जाने वालीं महिला आज उपभोग की बस्तु बन कर रह गयी।

एक सर्वे के मुताबिक प्रतिदिन में कुशीनगर की दो महिलाओं के साथ उत्पीड़न की घटनाए घटित होती है। यह चाहे हवस के रूप में हो या दहेज के रूप में या प्रेमी प्रमिका के रूप में हर स्तर पर पुरूष वर्ग अपने पुरूषार्थ का प्रयोंग कर उसे अपने आधीन करने का प्रयास करता है और जब सफलता नही मिलती है तो उसे मिटाने का भी प्रयास कर देता है।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर जनपद में पुरूषों व महिलाओं की जनसंख्या का अनुपात 33ः31 का है। जिसमें पुरूषों की संख्या 1473000 तथा महिलाओं की संख्या 1419000 है। इसमें बच्चे, बच्चियां सभी शामिल है। यानि .33 पुरूष पर 31 महिलाएं है। इस संख्याओं को नियन्त्रण करने के लिए कुशीनगर में 16 थाने व 8 चैकियों के साथ एक महिला थाना है। जिसमें करीब ़एक दर्जन से उपर महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। भारत के संविधान ने पुलिस को विभिन्न धाराएं दे रखी है। जिसके तहत पुलिस अपनी कार्यवाही करती है। आखिरकार कुशीनगर में महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं क्यो घट रही है? इसके कारणों को पता लगाया जाय तो प्रायः यह देखा जा रहा है कि पुलिस को उन घाराओं के परिपालन में खुली छूट नही है या पुलिस तंत्र भी पैसा कमाने के ग्लैमर में किसी से पीछे नही है। या यह कहा जा सकता है कि पैसा कमाना ही पुलिस का घ्येय है। 

जब कि पुलिस सरकार का ऐसा तंत्र है जिससे सरकार के कार्य के तरीको को जनता जानती है। अगर वास्तव में पुलिस प्रशासन अपने डृयूटी को निभाये तो निश्चित ही प्रदेश की सरकार के प्रशासनिक कार्यवाही में सुचिता और पारदर्शिता की झलक दिखती है। जो सत्ताहीन सरकार के फायदें में है। सरकार कोई भी रहे पुलिस पर उसका नियंत्रण है लेकिन भाई-भतीजा के चलते पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी को पैसा कमाने की ड्यूटी समझ ले रहे है। भारत के संविधान ने देश की व्यवस्था के लिए सुरक्षा के सम्बन्ध में दो स्तरीय व्यवस्था दी। एक सुरक्षा को लेकर देश के बाहरी खतरे के लिए सेना का प्रबन्धन व दूसरी देश के भीतरी सुरक्षा पुलिस के हवाले है। किन्तु इस व्यवस्था में कही-कही खामियां है। जिस कारण कुशीनगर में महिलाओं पर ज्यादा अत्याचार हो रहे है और आन्तरिक सुरक्षा के लिए रखी गयी पुलिस बेकार साबित हो रही है। ऐसे में प्रतिदिन दो महिलाओं पर अत्याचार हो रहे है और उसमें लिए एक महिला थाना इन अत्याचारों को राकने में नामकामयाब है।

आज देश की सुरक्षा में लगाये गये सेना कर्मी अपने देश की सुरक्षा में जी जान से जुटे तभी तो देश की जनता उन्हे सम्मान से देखती है। वही प्रान्त की आन्तरिक सुरक्षा में लगे कर्मी (पुलिस) को आम जन सम्मान नही देता है। आखिर कार इसका मूलतः कारण देखा जाय तो सामने आता है पुलिस देश व समाज सेवा के रूप में कार्य नही करती है बल्कि अपने पैसे कमाने व राजनीतिक दबाब में अपने कार्य करती है। इस लिए कोई भी कठोर से कठोर  अपराधियों के नियन्त्रण के धाराएं बना दी जाय और उसका पालन न हा तो वह निक्रिष् रहता है। ठीक उसी तरह कुशीनगर में प्रेम सम्बन्धों, हवस, व पुरूषार्थ के साथ दहेज के लिए महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। पिछले दो महिनों में दहेज के लिए हत्या, प्रेम सम्बन्धों व हवस का प्रयोग कर सैकड़ों महिलाओं को समाप्त करने का प्रयासजारी है। अभी जिले के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के एक गांव में मंगलवार को फिर एक महिला की हवस के दरिन्दे ने आबरू लूट ली। तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही कर रही है।

इस सम्बन्ध में पुलिस अधीक्षक ललित कुमार सिंह का कहना है कि प्रुलिस हर सम्ीाव प्रयास कर कर रही है कि कही भी कोई महिला उत्पीड़न की घअना न घटे  इसके लिए टोलफी नम्बर दिया गया है जो महिलाए उस पर काल करती है ओर अपनी समस्या बताती है उनके समस्याओ निदान अवश्य किया जाता है।

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