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भाजपा के आंतरिक परीक्षण में कुशीनगर सांसद फेल, टिकट कटने की संभावना प्रबल

भाजपा के आंतरिक परीक्षण में कुशीनगर सांसद फेल, टिकट कटने की संभावना प्रबल


उत्तर प्रदेश के 19 सांसदो के टिकट पर लग सकती आंच 



अजय कुमार त्रिपाठी

टाईम्स ऑफ कुशीनगर ब्यूरो 

कुशीनगर।आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर

भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने सांसदों के रिकार्ड का परीक्षण करने के बाद उसके आने वाले रिजल्ट से राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट तेज हो गई है।

चुनाव के लिए सभी तैयारियां को लेकर बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में अपने सांसदों के कामकाज का कराये गये आंतरिक सर्वेक्षण मे 19 सासदो का रिपोर्ट कार्ड सबसे खराब पाया है जिसमे कुशीनगर के सांसद विजय दूबे भी शामिल है। राजनीतिक गलियारों मे खराब प्रदर्शन करने वाले सासदो का टिकट कटना तय माना जा रहा है। ऐसे मे इन सासदो की चिंता  बढ गई है 

पार्टी हाईकमान द्वारा सांसदो के कामकाज के कराये गये आतंरिक परीक्षण मे उतर प्रदेश के करीब डेढ दर्जन से अधिक सांसद पार्टी के परीक्षण में फेल हो गये है। ऐसे मे माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले अपने सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कई दिग्गजों को उनके वर्तमान सीट से हटा सकती है। प्रदेश मे लोकसभा की अस्सी सीटों में से भाजपा व सहयोगी दलों को मिलकर कुल 66 सांसद है। जिसे बढ़ा कर भाजपा ने अपने लिए यूपी से '' मिशन 80'' का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। पार्टी यह भलीभांति जानती है कि यह लक्ष्य आसान नही है। इस लिए बार-बार अपने सांसदों का आंतरिक सर्वे करवा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब तक तीन सर्वे करवा चुकी है। तीसरे सर्वे में कुशीनगर सांसद विजय दूबे, संतकबीर सांसद प्रवीण निषाद, आजमगढ़ सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ, बदायूं सांसद व स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य सहित तबरीबन तीस फीसदी सांसदो का रिपोर्ट कार्ड पुअर और खराब रहा है। पार्टी आलाकमान का यह मानना है कि इन सांसदो के भरोसे 2024 के चुनाव मे सम्पूर्ण लोकसभा सीटो से '' मिशन 350 '' और यूपी से '' मिशन 80'' का लक्ष्य फेल हो सकता है।

एक नजर में खराब रिपोर्ट वाले सांसद 

भाजपा के तीसरे आंतरिक सर्वे में करीब 19 सांसदों के नाम 'पुअर'  व खराब प्रदर्शन करने वाले वर्ग में शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें सूबे के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पुत्र व एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया, भाजपा छोडकर सपा मे शामिल हुए व अपने विवादित बयानों से लगातार चर्चा मे बने रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी व बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य, ​भोजपुरी एक्टर-सिंगर व आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव 'निरहुआ', निषाद पार्टी के मुखिया व योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद के बेटे और संतकबीर नगर के सांसद प्रवीण निषाद, कुशीनगर सासंद विजय दूबे शामिल हैं। इसके अलावा लगातार विवादों में रहने वाले मोहनलालगंज के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर, हरदोई के सांसद जयप्रकाश रावत, बाराबंकी के सांसद उपेंद्र रावत,  सीतापुर के सांसद राजेश वर्मा, धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा, प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता, फूलपुर सांसद केसरी देवी पटेल, फर्रुखाबाद सांसद मुकेश राजपूत, बांदा सांसद आरके पटेल, भदोही के सांसद डॉक्टर रमेश चंद बिंद, अकबरपुर के सांसद देवेंद्र सिंह भोले, मिश्रिख सांसद अशोक कुमार रावत, फिरोजाबाद सांसद डॉक्टर चंद्र जादौन और हाथरस सांसद राजवीर दिलेर का नाम भी प्रमुख रूप से शामिल है। जिन पर टिकट कटने की आंच आ सकती है।

पुअर, एवरेज और गुड कैटगरी में बाटे गए सांसद 

पार्टी के आंतरिक सर्वे में सांसदों के काम को तीन कैटेगरी में बांटा गया है- 'पुअर', 'एवरेज' और 'गुड'। यह  आतंरिक सर्वे भारतीय जनता पार्टी के आगामी लोकसभा चुनावों की योजना का एक हिस्सा है। भाजपा ने यूपी में अपने सांसदों के कामकाज का आंतरिक सर्वे फरवरी 2023 में शुरू कर दिया था। फरवरी-मार्च  में शुरू हुए इस सर्वे में  कुछ अलग मानक रखे गए थे। दूसरा आंतरिक सर्वे मई-जून 2023 के बीच कराया गया। इन दोनों ही सर्वे के बाद भाजपा ने सांसदों की एक लिस्ट तैयार की और इसके बाद अब तीसरा आंतरिक सर्वे हाल ही में अगस्त-सितंबर महीने में संपन्न हुआ है। जानकारी के अनुसार  तीसरे और आखिरी सर्वे में कुछ मानक बदल दिए गए थे। इसमें सबसे अहम मुद्दा यह पता लगाना था कि सांसदों के कामकाज से उनके लोकसभा क्षेत्र की जनता कितनी संतुष्ट है। इस आधार पर अब सांसदों की तीन कैटेगरी में लिस्ट तैयार हुई है। पार्टी के एक जिम्मेदार पद पर आसीन नेता का कहना है कि सर्वे एक अहम पहलू है किसी भी सांसद-विधायक के बारे में अगर जानना है तो उस क्षेत्र में जाकर कोई एक दिन भ्रमण कर ले तो उसे भी पता लग सकता है कि लोग क्षेत्र में क्या कह रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कोई ऐसा चुनाव नहीं होगा जिसमें लोगों के टिकट न बदलते हों और यह सर्वे पार्टी की एक सतत प्रक्रिया है ।

जनता का फ़ीडबैक और आतंरिक सर्वे बनेगा 2024 में टिकट का आधार

भारतीय जनता पार्टी ने सांसदों के कामकाज और उनकी लोकप्रियता को लेकर जो आंतरिक सर्वे कराया है उसकी रिपोर्ट और उन सांसदों का क्षेत्र से मिला रहा फीडबैक ही 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने या कटने का सबसे बड़ा आधार होगा। भाजपा पहले भी इसी के आधार पर टिकट में बदलाव करती आ रही है।

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