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त्रिविध बुद्ध पुर्णिमा के अवसर पर पहली बार कुशीनगर में रहेगें पीएम

 त्रिविध बुद्ध पुर्णिमा के अवसर पर पहली बार कुशीनगर में रहेगें पीएम

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों।

कुशीनगर । 2566 वीं त्रिविध पावनी बुद्ध पुर्णिमा के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर मे शिरकत करने वाले है। जहां से वह भगवान बुद्ध को यहा नमन कर सीधे जन्मस्थली को पूजन नेपाल के लुंबिनी के लिए प्रस्थान करेगे। प्रधानमंत्री द्वारा तथागत बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली से सीधे जन्मभूमि की यह यात्रा भारत-नेपाल के संबधों के साथ-साथ अन्य कई पहलुओं के शुभ संकेत देने वाली है। 

विदित है कि नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने साझा बौद्ध सांस्कृतिक संबंधों को आधार बनाया है। बीते वर्ष 20 अक्टूबर-21 को प्रधानमंत्री मोदी के हाथों कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन के मौके पर श्रीलंका के विशेष राजनयिक व बौद्ध दल को बुलाया गया था। श्रीलंका से संबंध प्रगाढ़ करने की दिशा में प्राचीन संबंधों को आधार बनाया गया।


राजनीतिकार ऐसा मानते है कि चीन के कारण नेपाल से चल रही खटास को कम करने और आपसी संबंधों को और मजबूत करने में, भारत सांस्कृतिक कूटनीति का इस्तेमाल कर रहा है। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नेपाली व भारतीय बौद्ध सर्किट को वायु सेवा व सड़क मार्ग से जोड़कर आवागमन सुगम बनाने के लिए किसी बड़ी परियोजना की भी घोषणा कर सकते हैं। यह सर्व विदित है कि गौतम बुद्ध के तीन महत्वपूर्ण स्थल भारत में स्थित हैं। जिसमें महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, सारनाथ वाराणसी में प्रथम उपदेश स्थल व बिहार के बोधगया स्थित ज्ञान प्राप्ति स्थल है । साथ ही लुंबिनी सहित यह सभी स्थल दुनिया भर के बौद्ध श्रद्धालुओं प्रमुख सात प्रमुख तीर्थों में से है। भारतीय बौद्ध सर्किट में आने वाले विभिन्न देशों के श्रद्धालु नेपाल भी जाते हैं। ऐसे में नेपाल जाने वालों में भारतीय बौद्धों का भी एक बड़ा वर्ग है।

 बुद्ध जयंती को यादगार बनाने कुशीनगर आरहे है पीएम मोदी

यह पहला अवसर होगा जब 2566 वीं बुद्ध जयंती को यादगार बनाने के लिए प्रधानमंत्री कुशीनगर आ रहे हैं। ज्ञात हो कि तीन प्रकार से बौद्ध श्रद्धालुओं के बीच में पवित्र मानी जाने वाली त्रिविध पावनी बुद्ध पूर्णिमा का वैश्विक बौद्ध जगत में विशेष महत्व है। इस तिथि को लुंबिनी में बुद्ध का जन्म हुआ था, बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुयी, और उनका निर्वाण भी इसी तिथि को हुआ था। इसी कारण बौद्ध धर्मगुरुओं ने इसे त्रिविध पावनी बुद्ध पूर्णिमा का नाम दिया। दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी इस तिथि को पर्व के रूप में मनाते हैं। कुशीनगर में भी बुद्ध जयंती समारोहपूर्वक मनाई जाती रही है। कुशीनगर में म्यांमार, थाईलैंड, श्रीलंका, जापान, कोरिया, भूटान, वियतनाम , इंडोनेशिया के बौद्ध विहार यहां स्थित है। इन देशों के बौद्ध भिक्षु समारोह में शामिल होते हैं, और इसके साक्षी बनते है। 


वैसे तो प्रदेश के मंत्री से लगायत उच्च अधिकारी व विदेशी राजनयिक यहा आते रहते है लेकिनयह पहला अवसर होगा जब इस पावन पुनित तिथि को महापरिनिर्वाण भूमि पर भारत के प्रधानमंत्री के कदम पड़ेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर बौद्ध भिक्षु काफी उत्साहित व प्रसन्न हैं। श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु अस्स जी महाथेरो का कहना है बुद्ध सबके है और सभी बुद्ध के हैं। बुद्ध ने दुनिया को शांति से अहिसा के मार्ग पर चलना सिखाया। भारत के प्रधानमंत्री उस मार्ग पर दुनिया को ले चलने की कोशिश कर रहे हैं। निश्चित रूप से उन्हें बुद्ध का आशीष प्राप्त होगा।

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