टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । एक तरफ जहाॅ कुशीनगर जनपद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है वही दुसरी तरफ पुलिस विभाग के लिए यह पर्व शोक का प्रतिक है। जन्माष्टमी आते ही पुलिस कर्मियों की शहादत याद आती है और पुलिस महकमा गमगीन हो जाता है।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी |
यू तो बदलते जमाने के साथ हर कोई हर पर्व की धूम में अपनंे को खुश रखने का प्रयास करता है लेकिन कुशीनगर का पुलिस विभाग धूमधाम से आयोजित होने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व नही मनाते।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आते ही चर्चित पचरुखिया कांड की याद ताजा हो जाती है। पुलिस कर्मियों की रूह कॉप जाती है। उस काली रात की कहानी जेहन में घुमने लगती है। हालात कुछ ऐसे थे कि नाव से बांसी नदी पार करने के दौरान जंगल दस्युओं ने पुलिस कर्मियों पर बम फेंकने के साथ ताबड़तोड़ 40 राउंड गोलियां बरसाईं थी। इसमें जाबांज तरयासुजान एसओ अनिल पांडेय, कुबेरस्थान एसओ राजेंद्र यादव समेत छह पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इनके अलावा नाविक की मौत होने के साथ चार पुलिस कर्मी घायल हो गये थे। इस कांड के बाद कुशीनगर पुलिस उनकी शहादत में जनपद सृजन के 25 साल से पुलिस लाइन समेत सभी थानों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाती है।
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श्री कृष्ण |
एक नजर अतीत की तरफ देखे तो देवरिया- कुशीनगर संयुक्त जनपद से 13 मई 1994 को पडरौना जिले का सृजन हुआ था। नया जनपद बनने के बाद पहले साल जिले भर के पुलिस कर्मियों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर जोरदार उत्साह रहा। इधर पुलिस लाइन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही थी कि 29 अगस्त 1994 को पडरौना कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही आदि पचरूखिया के ग्राम प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डालकर उनकी हत्या की योजना बना रहे हैं।
तत्कालीन कोतवाल योगेंद्र प्रताप सिंह ने इसकी सूचना एसपी बुद्धचंद को दी। एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली डोल मेला में लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया। एसपी ने एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय को इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया।
बदमाशों की धर पकड़ के लिए क्षेत्राधिकारी पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में क्षेत्राधिकारी हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह, आरक्षी मनिराम चैधरी, रामअचल चैधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय को शामिल किया गया, जबकि दूसरी टीम में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय के नेतृत्व में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिंह व नागेंद्र पांडेय की टीम साथ साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुंचे। वहां ज्ञात हुआ कि जंगल दस्यु बदमाश पचरूखिया गांव में हैं, तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुला डेंगी नाव से उस पार चलने को कहा।
भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पहली खेप में सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मी नदी इस पार वापस आ गए। दूसरे खेप में डेंगी पर सवार होकर चले पुलिस टीम की नाव पर बीच नदी में पहुंचने पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया। बदमाशों की गोली से नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव घायल हो गए। नाविक को गोली लगने से डेंगी अनियंत्रित होकर पलट गई।
इससे नाव सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में गिर गए। इस दौरान बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर किया। सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस से इसकी सूचना एसपी को दी। इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स ने डेंगी सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन की। इस कांड में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली के आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त शहीद हो गये तथा नाविक भुखल भी मारा गया। इस गोली कांड में दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह घायल हो गए।
घटनास्थल पर पुलिस के हथियार व कारतूस बरामद तो हुए, लेकिन अनिल पांडेय की पिस्तौल अब तक नहीं मिल सकी। तत्कालीन डीजीपी ने भी घटना स्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी। इसके बाद कुशीनगर पुलिस पिछले 25 साल से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाती है।