टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो

छठ को लेकर नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में चारो तरफ भक्तिमय महौल बना रहा। सुवह होते ही व्रती महिला व पुरूष ढाल में फल और पुजा समाग्री लेकर नदी, तालाव व जलाशयों पर बने छठ सिरसुशोमिता के पास सूये उदय तक जमे रहे।
जैसे ही सूर्य लाल किरणें पृथ्वी पर पड़ी दो दिने निराजल रहे व्रतियों में मानों एक बार पुनः प्राण प्रवेश कर गया, सभी अपनी थाल लिये जल में खडे होकर उगते सूर्य को अध्र्य देकर नमन किया। यह कामना भी की हे सूर्य भगवान अगले वर्ष मुझे फिर व्रत रहने का मौका दिजिएगा।
सुवह नदी, तालाब स्थायी व अस्थायी पोखरों पर आस्था का सैलाब उमड पडा था। श्रद्धा व विश्वास उनके चेहरे पर साफ झलक रहा थे। निर्जल व्रत रहने के बाद भी उनके चेहरे पर भक्ति की उर्जा प्रवाहित होती दिख रही थी।
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