रविवार, 26 अप्रैल 2015

राज्यपाल की सभा में मची भगदड़


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भूकम्प के एक झटके ने प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनाईक के पूर्व नियोजित कार्यक्रम में मगदड़ मचा दिया। जिससे करीब आधे धण्टे तक अफरा तफरी का महौल बना रहा।
भूकम्प के तत्काल बाद निकलते लोग  

रविवार को पूर्वाचल की कृषि व ग्रामीण विकास संगोष्ठी मंे पत्रिका विमोचन कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनाइक कुशीनगर के बुद्धा पीजी कालेज में पहुचे हुए थें। इस कार्यक्रम की शुरूआत होने के बाद पत्रिका विमोचन और सम्मान देने का कार्य समाप्त कर श्री नाईक सभा को सम्बोधित करना शुरू किया था। कि आज मैने जाना प्रकृति का प्रकोप कितना भयावह होता है। भूकम्प से पड़ोसी देश नेपाल एवं विहार, उत्तर प्रदेश सहित तमाम प्रदेशों में बड़े पैमाने पर जन हानि हुई। उन सभी के प्रति श्रद्वाजलि अर्पित करता हूॅ। वही भूकम्प पीडि़त जल्द दुःख से बाहर आये और सभी सरकारंे अपने संसाधनों से भूकम्प पीडितों को राहत दें इसके लिए मैं भगवान से प्रार्थना करता हूॅ। कहा कि प्रकृति के उथल-पुथल से किसानों को बडे़ पैमाने पर बर्बादी हुई है। सरकारों को किसानो को सहायता देनी चाहिए। भूकम्प के झटके ने सभागार भवन में बैठे सभी लोगों को दहशत में डाल दिया सभी बेचैन होकर खड़े हो गया। सबको अपनी जांन की पड़ रही और सभागार से लोग निकलना शुरू कर दिया। यह देख लोगों में अफरा-तफरी का महौल हो गया। देखते ही देखते पूरा सभागार खाली हो गया। बताया जा रहा है इस भूकम्प का केन्द्र नेपाल के काठमाण्डू शहर से 80 किलोमीटर दूर कोडारी में था। जहां इसकी तीव्रता 6.7 मापी गयी है। जिसका असर उत्तर प्रदेश, विहार, सहित तमाम प्रदेश में हुआ है। 

देश के किसान पीडि़त, सहायता करें सरकारें- रामनाईक


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । प्रकृति के प्रकोप से देश का किसान हमेशा प्रभावित होता रहा है। किसानों की हो रही मौतें चाहे जैसे भी हो रही हो उससे तो यह स्पष्ट है कि किसान पीडि़त है।ऐसे में देश हो या प्रदेश सभी सरकारों को किसानों की मद्द करनी चाहिए। अपना देश किसान प्रधान देश है और उसमें उत्तर प्रदेश भी कृषि प्रधान ही है। 
सम्बोधित करते राजयपाल 
उक्त बातंे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनाईक कुशीनगर के बुद्धा पी जी कालेज में पूर्वाचल की कृषि व ग्रामीण विकास संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहीं। उन्होनंे कहा कि आज मैने जाना प्रकृति का प्रकोप कितना भयावह होता है। भूकम्प से पड़ोसी देश नेपाल एवं विहार, उत्तर प्रदेश सहित तमाम प्रदेशों में बड़े पैमाने पर जन हानि हुई। उन सभी के प्रति श्रद्वाजलि अर्पित करता हूॅ। वही भूकम्प पीडि़त जल्द दुःख से बाहर आये और सभी सरकारंे अपने संसाधनों से भूकम्प पीडितों को राहत दें इसके लिए मैं भगवान से प्रार्थना करता हूॅ। 
उन्होने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। उत्तर प्रदेश भी कृषि प्रधान प्रान्त है। वही उतरांचल प्रकृति से विशेष रूप से प्रभावित हुआ है। ऐसे प्रदेश का विकास कैसे हो! किस मार्ग को अपनावे जिससे कृषि विकसित हो सके। इन बात पर सरकारों को सोचना चाहिए। अभी राज्यपाल अपना भाषण दे ही रहे थे कि भूकम्प के एक झटके से सभागार में अफरा-तफरी का महौल बन गया। लोग सभागार से बाहर निकलने लगे। उधर अफरा-तफरी का महौल देख सुरक्षाकर्मियों ने राज्यपाल को सुरक्षित बाहर निकाल दिया। ऐसे में सुबह 10ः30 बजे शुरू हुआ कार्यक्रम स्वतः ही समाप्त हो गया। 

कार्यक्रम स्थल पर राज्यपाल ग्यारह बजे पहुचे, जहां पुलिस के जवानों ने उन्हें गार्ड आफ आर्नर दिया। महामहिम ने भारत माता के चित्र पर माल्र्यापण एव दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। भगदड़ के पूर्व प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से आये ग्यारह विभिन्न क्षेत्रों  में कार्य किये प्रबुद्व व्यक्तियों को राज्यपाल ने प्रसस्ति पत्र व शाल देकर सम्मानित किया। 
इस संगोष्ठी को प्रदेश के कैविनेट मंत्री ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी, पूर्व राज्य सभा सांसद राजनाथ सिंह सूर्य ने भी सम्बोधित किया।

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

कुशीनगर में नजर आया भुकम्प का भय


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । भूकंप के झटकों ने पूरे कुशीनगर को हिलाकर रख दिया। सबको अपने जान की पड़ी थी। झटके महसूस होते ही लोग अपार्टमेंट, अस्पताल व दफ्तरों समेत अन्य स्थानों से निकलकर बाहर की तरफ निकल आये। 
कुशीनगर में भुकम्प के झटके आधे घंटे के समय अंतराल में तीन बार महसूस किए गए। इसकी तीव्रता 7.5 रिक्टर स्केल आंकी गई। जबकि शहर में करीब 6 मॉडिफाइड मर्कली इंटेंसिट स्केल तीव्रता का भूकंप रहा। इससे गांव ही नही शहर में संचार व्यवस्था कुछ समय के पूरी तरह से ठप रही।  भूकंप निरोधी विशेषज्ञ बताते हैं कि कुशीनगर में पिछले 50 वर्षो में भूकंप का इतना बड़ा झटका महसूस नहीं किया गया।

शहर में 11 बजकर 50 मिनट के करीब भूकंप का पहला झटका महसूस किया गया। भूकंप आने की खबर से शहर में दफ्तर, फैक्टरी, अस्पताल, स्कूल, कालेज व अपार्टमेंट में अफरा तफरी मच गई और यहां से लोग निकलकर सड़क की ओर भाग निकले। कुछ देर में जब स्थिति सामान्य हुई तो लोग फिर अपने अपने काम में जुट गए लेकिन आधे घंटे के समय अंतराल में दो और झटके महसूस किये गये। जिसके बाद लोगों की सांसें अटक गई। भूकंप से सहमें लोग काफी देर तक अपने अपने दफ्तर, कारखानों व अपार्टमेंट में नहीं गए। भूकंप के झटकों की दहशत शहर स्कूलों में इस कदर देखी गयी की। पडरौना के गुदरी बजार में 45 बर्षीय महिला यह कहकर रोने लगी कि भगवान मुझे मत मारना तीन दिन मेरे लड़के की शादी है। वही एक निजि अस्पताल के डाक्टरों ने अपरेशन की तैयारी को रोंक कर बाहर निकल गये। हर जगह बुढ़े, बच्चे, और युवा सबकों अपने जान की पड़ी थी। 

स्कूल में अभिभावक भी देर न करते हुए अपने अपने बच्चों को लेने के लिए पहुंच गए। हालांकि स्कूलों में छुट्टी कर दी गई। मनोज गुप्ता बताते हैं कि करीब 15 सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र बिंदु नेपाल से 75 किलोमीटर दूर था। भूकंप के झटकों की तीव्रता 500 किलोमीटर के दायरे में अधिक रही जबकि दूरियां बढ़ने के साथ इसकी तीव्रता कम होती गई। 

भुकम्प से दर्जनों मकानें क्षतिग्रस्त, करोड़ों की हुयी क्षति


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
पडरौना, कुशीनगर । भुकम्प के झटकों ने दिल्ली ही नही कुशीनगर को भी अपने आगोंश में ले लिया। दर्जनों मकाने घ्वस्त हो गयी और देखते ही देखते करोड़ो की क्षति ने प्रशासन को भी सकते में ले लिया। 
भूकम्प से क्षतिग्रस्त मकान को गिरता प्रशासन 

रियेक्टर पैमाने की तीब्रता के साथ कुशीनगर के ग्रामीण एवं शहरी इलाके में भुकम्प के झटकों ने दर्जन भर घरों को प्रभावित किया। जहां पडरौना नगर के गुदरी बजार चैराहे पर खड़ी पूरानी दो मंजिली मकान भुकम्प से प्रभावित हो गयी। जिसे आम जनों के लिए सुरक्षित करने के लिए प्रशासन को हाथापाई भी करनी पड़ी। 

वही हाटा नगर में भी दो मकाने क्षति गस्त हो गयी। रामकोला में भी एक मकान क्षति ग्रस्त हो गया। यही बताया जा रहा है कि कुशीनगर के पडरौना, दुदही, सेवरही, फाजिलगनर, कसया, नेबुआ-नौरंगियां, खड्डा समेत कई विकास खण्डों में भंकम्प के झटकों ने मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया।

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

मीडिया कर्मियों के साथ अमरोहा की घटना दुषित मानसिकता का परियाचक


टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर । कबरेज के दौरान सोमवार को मीडिया कर्मियों से अमरोहा में बसपा कार्यकर्ता द्वारा किया गया दुव्र्यवहार दुषित मानसिकता का परिचायक है। ऐसा होता रहा तो मनबढ़ों का ही बोलबाला रहेगा और सच्चाई जनता से दूर होती जायेगी।
उक्त बाते जर्नलिस्ट्स वेलफेयर आर्गनाईजेशन कुशीनगर के पूर्व जिलाध्यक्ष अजय कुमार त्रिपाठी ने अमरोहा के बसपा कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निजी सुरक्षा गार्ड द्वारा छायाकारों से मारपीट की घटना को लेकर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति  में खेद जताते हुए कही। उन्होने कहा कि एक जिम्मेदार व्यक्तित्व के सामने ऐसी घटना घटे वह निश्चत ही तानाशाही का द्वयोतक है।
हर समस्या का हर हल मार-पीट ही नही होता और भी रास्ते होते है जिनसे समस्याओं का समाधान हो सकता है। फिर भी ऐसा होता रहा और जिम्मेदार व्यक्तित्व द्वारा उसे नजरअन्दाज कर दिया जो उसकी दुषित मानसिकता का परिचायक है। इससे यह स्पष्ट है कि जिम्मेदार व्यक्तित्व के आदेश पर ही यह घटना घटी। ऐसे में हमारी सरकार से मांग है कि उस जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाये। जिसके उपस्थिति में मीडिया कर्मियों के साथ दुव्र्यवहार और उनके कैमरे तोड़ दिये गये।

भगवान बुद्ध की 2559वीं जयन्ती मनानें की तैयारी शुरू


टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर । भगवान बुद्ध की 2559वीं जयन्ती मनानें को लेकर परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर में तैयारियां शुरू हो गयी है। इस बार यह जयन्ती और भव्य रूप से मनायी जायेगी। इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी आम जन से यहयोग लिया जायेगा।
जानकारी के अनुसार बुद्ध जयंती आयोजन समिति की बैठक कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर की अध्यक्षता में रविवार को म्यांमार बुद्ध विहार में सम्पन्न हुई। इसमें 4 मई को बुद्ध की 2559 वीं जयंती को भव्य बनाने के लिए उपायों पर चर्चा की गई। अन्य बातों के अलावे इस बात पर चिन्ता प्रकट की गई कि समारोह में स्थानीय लोगों की सहभागिता क्रमशः कम होती जा रही है। बैठक में इस पर अधिक जोर दिया गया कि इस वर्ष अधिक से अधिक लोगों को आयोजन में शामिल किया जाए। बैठक में प्रधानाचार्य मेजर शिवनाथ सिंह, विरेंद्र नाथ त्रिपाठी, दिनेश कुमार शुक्ल, ब्रजेश कुमार आदि ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए जिस पर अमल करने का फैसला किया गया।
इसके पूर्व ज्ञानेश्वर ने बुद्ध जयंती के इतिहास तथा कुशीनगर के विकास की चर्चा की। संचालन टीके राय ने किया। आभार राम नगीना ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर संघ के उपाध्यक्ष भिक्षु शील प्रकाश, भंते नंदिका, भंते धम्मा ध्वजा, भंते अशोक, भंते सूर्या, कलारानी, डा. मृत्युंजय कुमार ओझा, डा. एमए सिद्दीकी, राजेश सिंह, ओमप्रकाश पाठक, राम अधार यादव, योगेंद्र चैरसिया, स्वतंत्र कुमार गुप्त, भीम चरण, ओमप्रकाश कुशवाहा आदि उपस्थित रहे।

अब कुशीनगर में निर्धन कन्याओं की शादी नही रहेंगी बाकी


  •     12 साल में 304 कन्याओं के हाथ हुए पीले
  •   13वें साल 35 कन्याओं के शादी का लक्ष्य
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर । शान्ति और अहिंसा की धरती पर दहेज रूपी दानव का समूल नष्ट करने व गरीबों के घरों में अभिशाप मानी जारही कन्याओं की शादी का बिड़ा उटाये केडी शाही जन जागृति संस्थान नव निकेतन तुर्कपट्टी ने 13वें बर्ष में प्रवेश कर लिया है।  संस्था 3 मई 2015 को बर्षो की भांति 35 निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह सम्पन्न कराने वाली है।
बेटी की शादी को लेकर चिन्तित इन 35 परिवारों में खुशी का महौल और शादी की तैयारी शुरू है। बर्षो से यह संस्था विना सरकारी अनुदान लिये गरीब, असहाय और निराश्रित लड़कियों की शादी अपने खर्चे से सम्पन्न कराती है। संस्था इन लड़कियों को अपने ससुराल जाते समय हर वह समान देती हैं जों एक बाप अपने बेटी को विदा करते समय देता है।
संस्था की यह 12 बर्षो चली आ रही परम्परा 3 मई को 35 की शादी के साथ 339 पर पहुच जायेगी। इसके लिए संस्था तैयारी में जूट गयी है। इस आशय की जानकारी देते हुए संस्थान के अध्यक्ष पूर्व विधान परिषद सदस्य महेंद्र यादव, उपाध्यक्ष दीपनारायन अग्रवाल, प्रबंधक सुधीर कुमार शाही ने नगर में एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान दी। उन्होने बताया कि 2003 से शुरू हुयी इस आयोजन के तहत अब तक संस्थान 304 निर्धन कन्याओं की शादी सम्पन्न करायी गयी है।
निर्धन कन्याओं की शादी, उनके रीति-रिवाज के अनुसार करने की व्यवस्था है। उ.प्र., बिहार एवं नेपाल से आने वाले 35 दुल्हे सहित बारातियों का 3 मई को सायं 5 बजे तुर्कपट्टी स्थित नव निकेतन ज्ञान स्थली विद्यालय परिसर में स्वागत किया जाएगा। रात आठ बजे से सामूहिक विवाह तथा 4 मई के प्रातः नव दंपतियों को घर गृहस्थी का सामान देकर ससम्मान विदा किया जाएगा।
पदाधिकारियों ने बताया कि इस आयोजन में सुमित रुंगटा, मनोज बंका, हरि प्रसाद गोपी कृष्ण ज्वेलर्स, शिवकुमार रुंगटा, विजय सराफ, डा. अरुण गौतम, डा. सीबी सिंह, प्रदीप चहाडि़या, प्रमोद बालोदिया, सौरभ वर्मा, रमा खेतान, प्रदीप तुलस्यान, नरेश कानोडिया, प्रमोद मिश्रा, विनीत तुलस्यान आदि का सहयोग कर रहे है।

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

कुशीनगर में पुलिस ने चिता से उतरवाया अधजला शव

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक दहेज हत्या का मामला प्रकाश में आया है। जिसमें पुलिस ने गुरुवार की सुबह विवाहिता का अधजला शव चिता से उतरवा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मृतका के पिता के तहरीर पर पुलिस ने पांच लोगों के विरुद्ध दहेज हत्या का मुकदमा पंजीकृत किया है।
कुशीनगर के अहिरौली बाजार थाना क्षेत्र के सेंदुरिया विशुनपुर गांव के पश्चिम तरफ एक पोखरी के समीप गुरुवार की सुबह ग्रामीणों को आग जलती दिखाई दी। गेहूं के खेत मे आग की घटना समझ कर जब ग्रामीण पहुंचे तो वहां चिता जलती देख हैरान रह गए। ग्रामीणों को देख चिता जला रहे लोग भाग गए।
घटना की सूचना पुलिस को दी गई तो थानाध्यक्ष सत्येंद्र बहादुर सिंह दल बल के साथ मौके पर पहुंचे तथा चिता को बुझा कर शव को कब्जे में ले लिया। मृतका की पहचान गांव के ही भोला यादव की पत्नी ऊषा के रूप में हुई। घटना की सूचना पर विवाहिता के पिता अमरजीत यादव निवासी कुन्दुर थाना कप्तानगंज भी पहुंचे तथा पुलिस को तहरीर दी कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी पांच वर्ष पूर्व सेंदुरिया निवासी भोला यादव से की थी।उसके पति तथा ससुराल के अन्य लोग दहेज के लिए अक्सर प्रताडि़त करते थे, और दहेज न मिलने पर विवाहिता की हत्या कर दी।
इस सम्बन्ध में थानाध्यक्ष का कहना है कि मृतका के पिता की तहरीर पर पति, ससुर सहित पांच लोगो के विरुद्ध धारा 498 ए, 304 बी, 201 आईपीसी व 3ध्4 डीपी एक्ट के तहत मामला पंजीकृत किया गया है। शीघ्र ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली जाएगी।

कुशीनगर में विकास की प्रक्रियाओं को विश्व बैंक के सलाहकार ने जाना

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कसया, कुशीनगर । ब्रज के साथ बौद्ध परिपथों के विकास की घड़ी अब नजदीक आती दिख रही है। विश्व बैंक की टीम के बाद बैंक के सलाहकार ने भी दौरा कर परियोजना को पूर्ण करने की प्रक्रियाओं का आंकलन कर लिया। इस रिर्पोट के बाद आगे की कार्ययोजना तैयार होगी।
अन्य बौद्ध परिपथों के साथ कुशीनगर में प्रोपूअर टूरिज्म डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर दो दिवसीय दौरे पर आए विश्व बैंक के सलाहकार संकरावाडीवेलू ने गुरुवार को एक निजी होटल में कसाडा सचिव एसडीएम जयशंकर मिश्र से कसाडा द्वारा कराए जा रहे सिविल कार्यो में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त की। साथ ही अपने साथ लाए प्रश्नावली को भरवा कर अपने साथ ले गए। समस्त जानकारी सलाहकार द्वारा विश्व बैंक को प्रेषित की जाएगी।
बताया जा रहा है कि 18 सौ करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी प्रोपूअर टूरिज्म डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत आगरा और ब्रज तथा बौद्ध परिपथ के स्थलों का विकास किया जाना है। कुशीनगर में यह विकास कसाडा द्वारा कराया जाएगा। इसीलिए सलाहकार ने कसाडा की पूरी कार्य प्रणाली की जानकारी ली। इस दौरान उन्होने यह भी जाना कि यदि किसी निर्माण कार्य में कोई कमी आदि पाई जाती है तो संबंधित ठेकेदार, सिविल कार्यो के अधिकारी और कर्मचारी के विरूद्ध कौन सी कार्यवाई की जाती है।
इस संबंध में कसाडा सचिव एसडीएम ने उन्हें विस्तार से अवगत कराया। बताया कि उनके विरूद्ध सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली में दिए गए प्रावधानों के तहत कार्यवाई की जाती है। बैंक सलाहकार गुरुवार को वाराणसी के लिए रवाना हो गए। इस अवसर पर कोषाधिकारी उमेश कुमार उपाध्याय, सहायक अभियंता पीडब्लूडी आरपी शुक्ल, कसाडा लिपिक आशीष द्विवेदी, लेखपाल ब्रजेश मणि त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।

अब 30 अप्रैल तक कर सकेगें राशनकार्ड का आवेदन

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
पडरौना, कुशीनगर। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ऐसे उपभोक्ता जिन्होंने अभी तक नए राशन कार्ड के लिए आवेदन नहीं किया है, उनके लिए सरकार ने फिर से एक अवसर दिया है। ऐसे उपभोक्ता अब 30 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। शासन ने गुरुवार को पंद्रह दिन के लिए यह समय बढ़ा दिया।
कुशीनगर में एपीएल कार्ड धारकों की संख्या 404612, बीपीएल 190665 एवं अन्त्योदय के 117201 कार्डधारक हैं। प्रदेश सरकार की ओर से नए राशन कार्ड की प्रक्रिया पिछले दो साल से चल रही है। लंबे इंतजार के बाद भी राशन कार्ड का वितरण नही हो सका। इधर अब अब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किए जाने की कवायद के अंतर्गत महिला मुखिया के नाम से कार्ड बनाने के लिए फिर से फार्म भरे जा रहे हैं।
जिला पुर्ति अधिकारी ने बताया कि शासन के निर्देश पर मैन्युअली, नए राशन कार्ड बनाने बंद कर दिए गए थे। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाने से ऑनलाइन ही आवेदन स्वीकार हो रहे थे। इसकी मियाद 15 अप्रैल को खत्म हो गयी थी। लेकिन लोगों की समस्याओं को देखते हुए प्रमुख सचिव ने पंद्रह दिन का समय और बढ़ाते हुए इसे 30 अप्रैल कर दिया।

तेन्दुएं के हमले में कुशीनगर का एक युवक घायल


टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में तेन्दुएं के आतंक से लोग दहशत में है। तेन्दुएं ने हमला कर एक युवक को बूरी तरह घायल कर दिया। जिसका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।
कुशीनगर की यह घटना तरयासुजान थाना क्षेत्र के नाहर छपरा गांव की है। जहां शौच करने गए उक्त गांव निवासी चंद्रिका चैहान उम्र 27 पर तेंदुआ ने हमला कर दिया। तेंदुआ के इस हमले से चंद्रिका के शरीर कई हिस्सों में काफी पंजा लग गया। घायल चंद्रिका को ग्रामीणों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। तेन्दुएं के इस हमले लोग से लोगों दहशत छा गयी है।
इस घटना को लेकर लोगों द्वारा मिली सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम ने तेंदुएं की खोजबीन शुरू कर दी है। यहां तेंदुआ कहा से आया इसका पता अभी नहीं चल सका है।

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

इन्सेफलाट्सि से बचाव के लिए आयोजित होगा 5 मई से जागरूकता सप्ताह

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर । जपानी बुखार यानी इन्सेफलाईट्सि से आम जन को जागरूक करने को लेकर जागरूक सप्ताह मनाये जाने की योजना बनायी गयी है इसके लिए विकास खण्ड से लेकर ग्राम स्तर पर जागरूकता रैलियों का आयोजन कर आम जन को जागरूक किया जायेगा है।
एईएस जागरुकता सप्ताह मनाये जाने के लिए कुशीनगर में 05 मई से 10 मई का समय निर्धारित किया गया है। इस जागरूकता सप्ताह में शिक्षा विभाग, पंचायतीराज विभाग, बाल विकास विभाग, जल निगम आदि विभाग अपना योगदान देगें।
इस आशय की जानकारी देते हुए कुशीनगर में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अखिलेश कुमार ने बताया कि मंडलायुक्त के निर्देश पर जिले में एईएस जागरुकता सप्ताह तक मनाया जाएगा। जिसके तहत ब्लाक स्तर, ग्राम स्तर पर जागरुकता रैली, चैपाल आदि का आयोजन किया जाएगा।
इस संबंध में विभागीय अधिकारियों की बैठक मंडल स्तर पर 15 अप्रैल को तथा जनपद स्तर पर 18 अप्रैल को आयोजित होनी है। उन्होंने जनता से अपील किया कि जागरुकता कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेकर एईएस व जेईएस से बचाव के उपायों का शत प्रतिशत पालन करें। ताकि बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग ने हमारा संकल्प इंसेफ्लाइटिस से मुक्ति, जन.जन ने ठाना है, इंसेफ्लाइटिस दूर भगाना है, सुअर, मच्छर, गंदा पानी, इंसेफ्लाइटिस की रचे कहानी नारा के अभियान को संकल्प के साथ पूरा करने की तैयारी कर रहा है।

गांव और जीवन से है लोक कलाओं का सम्बन्ध- पंकज विष्ट

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
फाजिलनगर, कुशीनगर  । लोक कलाओं का सम्बन्ध गांव और जीवन से है। लोक कलाएं जीवन के हर हिस्से से अभिव्यक्त होती हैं। उत्पादन के सम्बन्ध से कलाओं का घनिष्ठ सम्बन्ध है। जैसे-जैसे उत्पादन के साधन बदल रहे हैं, लोक कलाओं में भी बदलाव आ रहा है। पूंजीवादी व्यवस्था में लोक संस्कृति और लोक कलाओं को बचाना बहुत मुश्किल होता है। आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को बदले बिना हम लोक संस्कृति और लोक कलाओं के संरक्षण और विकास का काम नहीं कर पाएंगे।
यह बातें जोगिया जनूबी पट्टी में आयोजित लोकरंग समारोह के दूसरे दिन ‘ लोक संस्कृति का वर्तमान और भविष्य ’ पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कथाकार एवं समयान्तर के सम्पादक पंकज बिष्ट ने कही। उन्होंने लोकरंग के उद्घाटन के समय कहे अपने शब्दों को दुहराते हुए कहा कि आज हम कई तरह के संकटों के दौर से गुजर रहे हैं। यह समय लोक कलाओं के पतन का है। लोक कलाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह कृत्रिम रूप से गढ़ी नहीं जाती हैं बल्कि हमारी जीवन शैली से प्रेरणा पाकर हमारे जीवन और जीवन संघर्ष को अभिव्यक्त करती हैं। लोक कलाओं और लोक संस्कृति को बचाने का तात्पर्य है अपने जीवन और जीवन शैली को बचाना है।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पटना से आए लोेक संस्कृति के मर्मज्ञ तैयब हुसैन ने कहा कि लोक संस्कृति में हमें उस हर तत्व को लेना चाहिए जिसका आधार ऐतिहासिक हो और वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पन्न हो। लोक संस्कृति में जो भी प्रगतिशील हो उसे ढूंढकर सामने लाने की जरूरत है। उन्होंने लोक संस्कृति में मिथकों के खतरे के प्रति आगाह किया। जनवादी लेखक संघ के प्रदेश सचिव नलिन रंजन सिंह लोक साहित्य के संकलन का काम न होने पर चिंता जताते हुए कहा कि बहुत नाउम्मीद होने की जरूरत नहीं है। लोक नृत्य, लोकगीत, लोक गाथा में नवोन्मेष भी दिखाई दे रहा है भले ही कम क्यों न हो। उन्होंने लोक साहित्य में स्त्री और दलित विमर्श को रेखांकित करते हुए कहा कि नए विमर्शो में नए पड़ताल के साथ लोक संस्कृति को जोड़ेंगे तो भविष्य उम्मीद भरी होगी।
झारखंड से झारखंडी भाषा साहित्य, संस्कृति अखड़ा की वंदना टेटे ने झारखंड के पांच बड़े आदिवासी समूहों में से एक खडि़या आदिवासी समूह की संस्कृति का विस्तृत परिचय देते हुए कहा कि हमारे समाज में रंग औरा लिंग भेद नहीं है और यह जीवन दर्शन हमने सृष्टि के सानिध्य में पाया है। जंगल और जमीन हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसको खत्म करना हमारी संस्कृति को खत्म करना है। रींवा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो दिनेश कुशवाहा ने कहा कि लोक संस्कृति का विकास सत्ता की संस्कृति के प्रतिरोध मे हुआ। लोक ने अपने किस्से-कहानियों, गीतों, नृत्यों के साथ-साथ लोक विश्वासों और लोक आस्थाओं में भी लोक संस्कृति प्रकट हुई। लोक अनुभव जन्य ज्ञान को शास्त्र और वेद से आगे माना गया है। इसके बावजूद लोक संस्कृति में सब कुछ अच्छा नहीं है। नब्बे फीसद लोक विश्वास झूठ पर आधारित हैं क्योंकि ये अनुभव जन्य लोक ज्ञान से अलग से आए हैं। इन लोक विश्वासों, आस्थाओं की पुनर्वाख्या करनी होगी और उनको वैज्ञानिक स्वरूप देना होगा। वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन ने कहा कि लोक़ संस्कृति के वर्तमान में दुख-दर्द, पीडा, संघर्ष  का बयां तो है लेकिन मुक्ति का संकेत नहीं दिखायी देता। लोक संस्कृति की बात करते हुए कुछ लोग इसे जैसा है वैसा बने रहने की बात कर रहे जो बहुत घातक है। उन्होंने माक्र्सवादी विचारधारा से आंख नहीं चुराने की नसीहत देते हुए कहा कि लोक संस्कृति का निर्माण द्वंदात्मक है।
वरिष्ठ पत्रकार दयानन्द पांडये ने कहा लोक संस्कृति मंचों और समारोहों से नहीं बचेगी। इसे हमें अपने घरों में जगह देनी होगी। उन्होंने लोक भाषाओं के खत्म होने पर चिंता जताते हुए कहा कि लोकभाषा को विद्वान नहीं बनाते, बाजार और रोजगार बनाते हैं। लोकभाषा का सम्बन्ध रोजी-रोटी से जोड़ना होगा। उन्होंने बाजार और भूमण्डलीकरण का अंध विरोध करने के बजाय इसको साथ में लेने की जरूरत पर जोर दिया।
कहानीकार ऋषिकेश सुलभ ने कहा कि जो हमारे काम का नहींे है उसे हम शव की तरह लादे नहीं रह सकते। हमारे समय का आख्यान बदल रहा है लेकिन जीवन का मौलिक भाव कभी नहीं बदलता। आज भी ऐसे गीत लिखे जा रहे हैं जो सत्ता, शोषण के प्रतिरोध में खड़े हैं।
सुप्रसिद्ध चित्रकार डाॅ लाल रत्नाकर कहा कि उन्नत कला का लयात्मक स्वरूप लोक से आया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश लोक कलाओं के लिए बहुत ही समृद्ध है। हमें लोक कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार अशोक चैधरी ने कहा कि लोक जन में घनघोर निराशा है। लाखों की संख्या में किसान आत्महत्या रहे हैं फिर भी हुक्मरान कह रहे हैं कि देश विकास कर रहा है। हमारी चिंता इस बात की है कि जिसके बल पर हम लोक संस्कृति के विकास की बात कर रहे हैं वहीं संकट में है। आदिवर्त संग्रहालय खजुराहो के कार्यक्रम अधिकारी डा महेश चन्द्र शांडिल्य ने लोक संस्कृति के क्षरण के लिए मध्यवर्ग के उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया। डा विजय चैरसिया ने बैगा आदिवासियों की संस्कृति की विस्तार से चर्चा की । पत्रकार मनोज सिंह ने कहा कि लोक संस्कृति को बचाने और उसके विकास की लड़ाई किसान, खेती, प्राकृतिक संसाधनों की कार्पोरेट लूट से बचाने की लड़ाई से अलग नहीं है। कार्पोेरेट विकास में गांव, किसान, खेत, जल जंगल जमीन नहीं बचेंगे तो हम लोक संस्कृति को कैसे बचा पाएंगे। उन्होंने लोक संस्कृति के संरक्षण के कार्य में रूमानियत से बचने की सलाह देते हुए कहा कि लोककलाओं में बहुत से फार्म को बचाने की चिंता गैर जरूरी है क्योंकि ये स्त्रियों के शोषण से जुड़े हुए हैं। विचार गोष्ठी का विषय प्रवर्तन राम प्रकाश कुशवाहा ने किया। संचालन बलरामपुर से आए साहित्यकार पीसी गिरि ने किया। विचार गोष्ठी के प्रारम्भ में इप्टा पटना की टीम ने दो गीत प्रस्तुत किए।

जमीनी विवाद में मारपीट तीन घायल


टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
फाजिलनगर, कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जमीनी विवाद को लेकर दो पक्षों में हुयी मारपीट का चिकित्सकीय जाॅच कराने पहुचे दोनो पक्षों मे जमकर मारपीट हुयी जिसमे दानो पक्षों के तीन लोग घायल हो गये। मारपीट के दौरान सीएचसी परिसर मे अफरा तफरी का माहौल बन गया।
यह घटना कुशीनगर के पटहेरवा थाना क्षेत्र के बलुआ तकिया की है। उक्त ग्राम सभा के एक व्यक्ति द्वारा तहसील दिवस मे दिये गये प्रार्थना पत्र के बाद हल्का लेखपाल ने शनिवार को पैमाइस कर दिया गया। सोमवार को तहसील दिवस की रिपोर्ट के नकल के लिए लेखपाल ने दोनो पक्षों को बुलाया था उसी दौरान किसी बात को लेकर दोनो पक्ष आमने सामने भिड़ गये। एक पक्ष के विनय राय ने मामले की जानकारी थानाध्यक्ष पटहेरवा को दी और मेडिको लिगल के लिए फाजिलनगर सामुदायिक केद्र पहुचे।
विनय राय का आरोप है कि मेडिको लिगल कराते समय दुसरे पक्ष के लोग सीएचसी पहुच कर पुनः मारपीट करने लगे जबकि दुसरे पक्ष का आरोप है कि हम लोग भी मेडिको लिगल कराने पहुचे थे कि तभी लोगों ने मारपीट प्रारम्भ कर दी। मारपीट मंे दोनो पक्षो से विनय राय, डिग्री राय, अजय राय आदि लोग घायल हो गये। इस दौरान एक पक्ष द्वारा लाये गये स्कार्पियो को लागों ने बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। दोनो  पक्षों ने पटहेरवा पुलिस को तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की है। मारपीट के दौरान सीएचसी परिसर मे अफरा तफरी का माहौल बना रहा ।
इस सम्बन्ध मे थानाध्यक्ष पटहेरवा जितेन्द्र कुमार यादव का कहना है कि मारपीट की सूचना पर मैं मौके पर पहुचा तथा मामले की जानकारी ली। दोनो पक्षों द्वारा तहरीर दिया गया है मामले की जांच के बाद दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी।

बाउल गायनों के साथ लोकरंग का भव्य आगाज


आठ बर्षो से भोजपूरी भाषा के सम्बर्धन व विकास को सर्मपित  है जोगिया गांव
 
अजय तिवारी
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
फाजिलनगर, कुशीनगर । भोजपूरी भाषा के विकास और सम्बर्धन को लेकर विगत आठ बर्षो से आयोजित हो रहा लोकरंग कुशीनगर जिले के जोगिया जनूबी पट्टी गांव में रविवार को विविध कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया।
क्षेत्रीय संस्कृति और भाषा को ख्याति दिलाने के उद्देश्य से आयोजित होने वाले इस लोकरंग कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार एवं समयान्तर पत्रिका के सम्पादक व साहित्यकार पंकज बिष्ट ने किया इस अवसर पर उन्होने लोकरंग पत्रिका का विमोचन किया।
लोकरंग 2015  देश में असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले कुशीनगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों हनुमान प्रसाद कुशवाहा, ब्रह्मदेव शर्मा, मुशी तप्तीलाल और मोती भगत को समर्पित किया गया है।
लोंकरंग का यह आयोजन प्रत्येक बर्ष गैर सरकारी प्रयास से आयोजित होने वाला पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा लोक उत्सव बनता जा रहा है। इस आयोजन ने जोगिया गांव की पहचान लोक संस्कृति की चिंता और इसके संवर्धन का कार्य करने वाले गांव के रूप में बना दी है। हर वर्ष आयोजित होने वाला लोक गीतों, लोक नृत्यों व नाटकों का दो दिवसीय समारोह लोकरंग के आयोजन का यह आठवा वर्ष है। आयोजन के लिए जोगिया गांव एक कला ग्राम के रूप में सजाया गया है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ गांव की मतिरानी देवी, ज्ञानती, लालती, सुभागी, रूक्मीणा और सुशीला द्वारा रोपनी गीत की प्रस्तुति से हुआ। लोकरंग का शुभारम्भ हमेशा गांव के ग्रामीण महिलाओं द्वारा प्रस्तुत कायक्रमों से होता रहा है। यह परम्परा इस बार भी कायम रही और रोपनी गीत से लोकरंग का आगाज हुआ। इस प्रस्तुति के बाद गाजीपुर से आए बंटी वर्मा ने लोकगीत प्रस्तुत किया।
यही नही भोजपुुरी क्षेत्र की दो प्रस्तुतियों के बाद पूर्वांचल में पहली बार पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध बाउल गायन हुआ। बाउल गायन की यह प्रस्तुति बरून दास, अजय दास, नयन अंकुर, काशीनाथ बायन, संजय मंडल और अनंत विश्वास ने प्रस्तुत किया।
बताया जाता है है कि बाउल गायन की परम्परा पूर्वी बंगाल से पश्चिम बंगाल आने-जाने वाले जहाजों पर सवार बाउल गायकों ने शुरू की थी। ये गायक मुसाफिरों को अपने गायन से भक्ति भाव में डूबो देते थे। इस गायन में एक ओर राम कृष्ण से सम्बन्धित धार्मिक भाव छुपे होते हैं तो दूसरी ओर कबीर के फक्कड़पन का प्रवाह होता है।
क्रार्यक्रम में बाउल गायन के बाद कुशीनगर के रजवटिया पश्चिम टोला के रहने वाले रामप्रकाश मिश्र और उनकी टीम ने निर्गुन गायन प्रस्तुत किया। वही मध्य प्रदेश के देवास से आए दयाराम सरोलिया और उनके साथियों ने कबीर और मालवी गायन प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।
कबीर और मालवी गायन के बाद श्याम लाल प्रसाद, बल्ली प्रसाद, विदेशी प्रसाद, प्रभु प्रसाद, नगीना प्रसाद आदि कलाकारों ने पखाऊज प्रस्तुत किया। ये कलाकार कुशीनगर जिले के लाल गुरवलिया गांव के निवासी थे। इसी क्रम में पटना से आए इप्टा के कलाकारों ने शाहिद अनवर द्वारा लिखित और तनवीर अख्तर द्वारा निर्देशित नाटक ‘सुपनवा का सपना’ का मंचन किया। यह नाटक एक तरफ इतिहास की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है तो दूसरी तरफ सत्ता की क्रूरता का वर्गीय विश्लेषण करता है। वही गाजीपुर से आई संभावना कला मंच की टीम ने राजकुमार सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों के सहयोग से गंाव के बखारों, मिट्टी की दीवारों पर लोक चित्र उकेर थे। साथ ही भोजपुरी व हिन्दी के कवियों के कविताओं के पोस्टर भी तैयार कर पूरे गांव में लगाए गए थे।