शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

स्वास्थ्यकर्मियों की मिली भगत से प्राईवेट हास्पीटलों की चांदी


   पैसे के लिए जच्चा बच्चा को तीन दिन तक बनाये रखा बन्धक
टाईम्स आॅफ कुशीनगर व्यूरों
दुदही, कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से प्राईवेट हास्पीटलों में डिलेवरी धड़ल्ले से करायी जा रही है जहां मरीजों से तीन हजार से छः हजार रुपये तक बसूली की जा रही है। इस गोरख धन्धे में स्वास्थ्यकर्मियों की संलिप्तता शुक्रवार को प्रभारी चिकित्साधिकारी उमेश सिंह की जांच में खुलकर सामने आयी।

जानकारी के अनुसार शुक्रवार को दुदही के एक प्राईवेट हास्पीटल में पैसे के लिये जच्चा-बच्चा को बन्धक बनाने का मामला सामने आया। जो मुसहर जाति की महिला एक गांव के ही आशा स्वास्थ्यकर्मी द्वारा सरकारी हास्पीटल में डिलेवरी के बहाने प्राईवेट हास्पीटल में भर्ती करायी गयी थी। पैसे के लेन-देन को लेकर तीन दिन से हास्पीटल के डाक्टर द्वारा रोक कर रखा गया। मामला जब प्रकाश में आया तो स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंचकर डाक्टर और मरीज दोनों को थाने ले गयी।

पुलिसीया कार्यवाही के बाद दुदही सामु0 स्वा0 प्रभारी चिकित्साधिकारी एक अभियान के तहत दुदही में चलाये जा रहे हास्पीटल व नर्सिग होमों की जांच शुरु की। जिसमें रजिस्ट्रेशन व डिग्री की जांच की गयी। प्रभारी चिकित्साधिकारी उमेश ने बताया कि जो जांच किया गया उनके रजिस्ट्रेशन लैप्श पाये गये तथा उनकी डिग्रीयों पर नार्मल डिलेवरी नही करायी जा सकती। कुछ हास्पीटलों में आशायें भी देखी गयी वहीं मरीजों द्वारा आशाओं के नाम भी बताये गये।

प्रभारी चिकित्साधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट तैयार करायी जा रही है। मुख्य चिकित्साधिकारी को भेजकर सरकारी व गैर सरकारी संलिप्त लोगांे पर एफ0आई0आर दर्ज कराने की सिफारिश की जायेगी।

कुशीनगर में प्रतिदिन दो महिलाओं का होता है उत्पीड़न


टाईम्स आॅफ कुशीनगर व्यूरों
कुुशीनगर।उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में महिलाओं का उत्पीड़न सबसे ज्यादा है।  पुरूष समाज अब हैवानियत पर उतर गया है। कभी लक्ष्मी के रूप में देखे जाने वालीं महिला आज उपभोग की बस्तु बन कर रह गयी।

एक सर्वे के मुताबिक प्रतिदिन में कुशीनगर की दो महिलाओं के साथ उत्पीड़न की घटनाए घटित होती है। यह चाहे हवस के रूप में हो या दहेज के रूप में या प्रेमी प्रमिका के रूप में हर स्तर पर पुरूष वर्ग अपने पुरूषार्थ का प्रयोंग कर उसे अपने आधीन करने का प्रयास करता है और जब सफलता नही मिलती है तो उसे मिटाने का भी प्रयास कर देता है।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर जनपद में पुरूषों व महिलाओं की जनसंख्या का अनुपात 33ः31 का है। जिसमें पुरूषों की संख्या 1473000 तथा महिलाओं की संख्या 1419000 है। इसमें बच्चे, बच्चियां सभी शामिल है। यानि .33 पुरूष पर 31 महिलाएं है। इस संख्याओं को नियन्त्रण करने के लिए कुशीनगर में 16 थाने व 8 चैकियों के साथ एक महिला थाना है। जिसमें करीब ़एक दर्जन से उपर महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। भारत के संविधान ने पुलिस को विभिन्न धाराएं दे रखी है। जिसके तहत पुलिस अपनी कार्यवाही करती है। आखिरकार कुशीनगर में महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं क्यो घट रही है? इसके कारणों को पता लगाया जाय तो प्रायः यह देखा जा रहा है कि पुलिस को उन घाराओं के परिपालन में खुली छूट नही है या पुलिस तंत्र भी पैसा कमाने के ग्लैमर में किसी से पीछे नही है। या यह कहा जा सकता है कि पैसा कमाना ही पुलिस का घ्येय है। 

जब कि पुलिस सरकार का ऐसा तंत्र है जिससे सरकार के कार्य के तरीको को जनता जानती है। अगर वास्तव में पुलिस प्रशासन अपने डृयूटी को निभाये तो निश्चित ही प्रदेश की सरकार के प्रशासनिक कार्यवाही में सुचिता और पारदर्शिता की झलक दिखती है। जो सत्ताहीन सरकार के फायदें में है। सरकार कोई भी रहे पुलिस पर उसका नियंत्रण है लेकिन भाई-भतीजा के चलते पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी को पैसा कमाने की ड्यूटी समझ ले रहे है। भारत के संविधान ने देश की व्यवस्था के लिए सुरक्षा के सम्बन्ध में दो स्तरीय व्यवस्था दी। एक सुरक्षा को लेकर देश के बाहरी खतरे के लिए सेना का प्रबन्धन व दूसरी देश के भीतरी सुरक्षा पुलिस के हवाले है। किन्तु इस व्यवस्था में कही-कही खामियां है। जिस कारण कुशीनगर में महिलाओं पर ज्यादा अत्याचार हो रहे है और आन्तरिक सुरक्षा के लिए रखी गयी पुलिस बेकार साबित हो रही है। ऐसे में प्रतिदिन दो महिलाओं पर अत्याचार हो रहे है और उसमें लिए एक महिला थाना इन अत्याचारों को राकने में नामकामयाब है।

आज देश की सुरक्षा में लगाये गये सेना कर्मी अपने देश की सुरक्षा में जी जान से जुटे तभी तो देश की जनता उन्हे सम्मान से देखती है। वही प्रान्त की आन्तरिक सुरक्षा में लगे कर्मी (पुलिस) को आम जन सम्मान नही देता है। आखिर कार इसका मूलतः कारण देखा जाय तो सामने आता है पुलिस देश व समाज सेवा के रूप में कार्य नही करती है बल्कि अपने पैसे कमाने व राजनीतिक दबाब में अपने कार्य करती है। इस लिए कोई भी कठोर से कठोर  अपराधियों के नियन्त्रण के धाराएं बना दी जाय और उसका पालन न हा तो वह निक्रिष् रहता है। ठीक उसी तरह कुशीनगर में प्रेम सम्बन्धों, हवस, व पुरूषार्थ के साथ दहेज के लिए महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। पिछले दो महिनों में दहेज के लिए हत्या, प्रेम सम्बन्धों व हवस का प्रयोग कर सैकड़ों महिलाओं को समाप्त करने का प्रयासजारी है। अभी जिले के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के एक गांव में मंगलवार को फिर एक महिला की हवस के दरिन्दे ने आबरू लूट ली। तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही कर रही है।

इस सम्बन्ध में पुलिस अधीक्षक ललित कुमार सिंह का कहना है कि प्रुलिस हर सम्ीाव प्रयास कर कर रही है कि कही भी कोई महिला उत्पीड़न की घअना न घटे  इसके लिए टोलफी नम्बर दिया गया है जो महिलाए उस पर काल करती है ओर अपनी समस्या बताती है उनके समस्याओ निदान अवश्य किया जाता है।

आज भी पिछड़ी हुयी हैं कुशीनगर की महिला मतदाताएं


टाईम्स आॅफ कुशीनगर व्यूरों
कुुशीनगर । गांव के प्रधान, से लेकर संसद के सासंद तक को चुनने वाली महिला मतदाता आज भी कुशीनगर में पिछडी़ हुयी है। तभी तो प्रदेश के विधान परिषद सदस्य के लिए होने वाले चुनाव में मात्र 71 महिला ही मतदाता बन सकीं है।

वैसे तो अगर यू कहा जाय कि महिला देश की राजनीति का तख्ता पटल सकती है जो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी। देश के मतदाओं में महिलाओं की संख्या कुछ कम नही है लेकिन विधान परिषद सदस्य के चुनाव में कुशीनगर की महिलाऐं पिछड़ती हुयी नजर आ रही है।
ज्ञातव्य हो कि उत्तर प्रदेश के उच्च सदन विधान परिषद के लिए 9 शिक्षकों का चुनाव होता है। जो समय-समय पर शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके लिए अनुदानित इन्टर कालेज, डिग्री कालेज, संस्कृत विद्यालय व मदरसों के शिक्षक मतदान करते है। हालाकिं इस बर्ष जनपद में 437 नये मतदाताओं के नाम जुड़े लेकिन अफशोस की इस सूची में भी मात्र इनकी संख्या 29 ही है।

गोरखपुर-फैजाबाद खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के अन्र्तगत आने वाले कुशीनगर जिले मेें चैदह विकास खण्ड मुख्यालयों के साथ एक नगर पालिका कार्यालय को लेकर कुल 15 बुथ बनाये गये। जिनमे 12 ऐसे बुथ है जहां महिला मतदाताओं की संख्या दहाई तक भी नही पहुच पायी है। यही नही दो ऐसे भी बुथ खड्डा और नेवुआ नौरंगिया है जहां महिला मतदाता का श्री गणेश ही नही हो सका हैं।

एक नजर कुशीनगर जनपद के प्रत्येक बुथों पर डाली जाये तो कुल 1445 वोटर  है। जिसमें सर्वाधिक मतदाता फाजिलनगर बुथ पर 250 की संख्या में है और यह मात्र ऐसा बुथ है जहा सर्वाधिक 12 महिला मतदाता है। वैसे मतदाताओं की संख्या के अनुसार कसया बुाि दुसरे स्थान पर है जहां 184 मतदाता है जिसमें महिलाओं की संख्या 7 है। इसी क्रम मे ंकप्तानगंज बुथ अपने कुल 151 में 10 महिला मतदाताओं के साथ तीसरे स्थान पर है। वही सर्वाधिक कम मतदाता नेबुआ नौरंगिया बुथ पर 14 की संख्या में है।

पडरौना बुथ पर 80 पुरूष व 04 महिला मतदाता, पडरौना नगरपालिका बुथ पर 87 पुरूष व 08 महिला मतदाता, विशुनपूरा बुथ पर 57 पुरूष व 04 महिला मतदाता, दुदही बुथ पर 43 पुरूष व 04 महिला मतदाता, सेवरही बुथ पर 54 पुरूष व 04 महिला मतदाता, तमकुही बुथ पर 135 पुरूष व 04 महिला मतदाता, रामकोला बुथ पर 46 पुरूष व 01 महिला मतदाता, मोतीचक बुथ पर 47 पुरूष व 01 महिला मतदाता, हाटा बुथ पर 107 पुरूष व 10 महिला मतदाता, सुकरौली बुथ पर 101 पुरूष व 02 महिला मतदाताओं के साथ खड्डा बुथ पर मात्र 47 पुरूष मतदाता है।

सीबीआई के स्थली सत्यापन से सम्बन्धितों के कान खड़े


टाईम्स आॅफ कुशीनगर व्यूरो
पडरौना, कुशीनगर। महात्मा गांधी रोजगार गारन्टी योजना की जांच में पहुंची सीबीआइ टीम ने अब अभिलेखों के साथ जमीन पर पहुंचने का कार्य शुरू कर दिया है। सीबीआई के इस कार्य से सबके कान खड़े हो गये है।
कागज के साथ स्थल का भौतिक सत्यापन कर करने के लिए बुधवार को सीबीआइ के डीसीपी पीके श्रीवास्तव की टीम ने मनरेगा घोटाले को लेकर चर्चित खड्डा विकास खंड के रोहुआ पुल पर पहला कदम रखा।

जहां अधिकारियों की मौजूदगी में सीबीआइ टीम ने पुल के निर्माण और उसकी खामियों को नाप-जोखा। भौतिक सत्यापन के बाद टीम सीधे वहां से खंड विकास कार्यालय पहुंची और यहां अभिलेखों की गहन छानबीन की। वहां से पुल के निर्माण से संबंधित सभी रिकार्ड लिए और इस बावत दर्ज मुकदमे के एफआइआर की नकल भी अपने कब्जे में ले ली। एफआइआर की नकल लेने को लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि पुनः दोषी लोगों पर कार्रवाई का शिकंजा कस सकता है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई के इस स्थली सत्यापन से सबके कान खड़े हो गये है। सभी सम्बन्धित अपनी गर्दन बचाने में अभी से लग गये है। कही किसी प्रकार से नाम न आये इसके लिए सम्बन्धित हर तरह के प्रयास शुरू कर दियें है।

अभिलेखों के निरीक्षण के बाद सीबीआइ अधिकारी श्रीवास्तव ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच चल रही है। टीम जिले में 28 फरवरी तक रहेगी। मिले तथ्यों के आधार पर तीन माह में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। अभी केवल साक्ष्य और अभिलेखों का निरीक्षण किया जा रहा है। अधिकारियों के बयान भी लिए जाएंगे।ं

शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

दबंगों ने पेड़ में बाधकर छीन लिया पैतीस हजार



कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में दबंगों द्वारा एक व्यक्ति को नीम के पेड़ में बाध कर बुरी तरह से मारने पीटने के बाद पैतीस हजार रूपये छिन लेने का मामला प्रकाश में आया है। पीडि़त व्यक्ति ने पुलिस अधीक्षक को पत्रक देकर न्याय की गुहार लगाया है।

कुशीनगर की यह घटना पडरौना कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम सभा बांसी टोला की है जहां अकबरपुर मगरूआ कुटी थाना नेबुआ नौरंगिया निवासी आलीम पुत्र गोबरी ने पुलिस अधीक्षक को दिये अपने प्रार्थना पत्र में उल्लेख किया है कि मुन्ना यादव व रामलाल यादव 25 जनवरी को मेरे घर आये तथा कहे कि चलो मुझे अपनी भैंस बेचनी है। मैं उक्त व्यक्तियों के साथ पैसा लेकर बासी टोला गया। वहां जाने के बाद उक्त दबंगों ने मुजे नीम के पेड़ में रस्सी से बाध कर बुरी तरीके से मारा पीटा गया तथा 35 हजार रूपये छिन लिया।

उक्त घटना के संबंध में किसी ने पुलिस को सूचना दिया तो पुलिस मौके पर पहुंचकर मुझे दबंगों से मुक्त कराया। प्रार्थी भैस खरीदने का कार्य करता है। उक्त लोगों के घर भैस खरीदारी के लिए कई बार गया था। इसी बीच भैस गायब हो गयी थी, भैस मिल गयी है। मै बेकसूर हूँ।

पुलिस अधीक्षक ने गंभीरता से लेते हुए प्रभारी निरीक्षक कोतवाली को आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नही है। जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराया जायेगा।

विभागीय लापरवाही के कारण झुलसा लाईनमैन


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
दुदही, कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते एक लाईनमैन शनिवार को विद्युत ठीक करते समय झुलस गया। उसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पर भर्ती कराया गया जहां डाक्टरों ने उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।  

जानकारी के अनुसार यह घटना कुशीनगर के विशुनपूरा थाना क्षेत्र के ग्राम बांसगांव टोला खाखड़ टोला की है। जहां शायं 6 वजें गोविन्द तिवारी पुत्र पुजारी तिवारी नाम का लाईनमैन पोल पर चढ़ कर एल0टी0 लाईन को ठीक कर रहा था कि उसी समय अचानक विद्युत आगयी और पोल पर चढ़ा प्राईवेट लाईनमैन झुलस कर नीचे गिर गया। 

जिससे उसका पैर टुट गया और उसे गंभीर हालत में सा0 स्वास्थ्य केन्द्र दुदही में भर्ती कराया गया। जहां से उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। बताया जाता है कि विद्युत को ठीक करने के लिए विद्युत केन्द्र से शट डाउन लिया गया था।


बावन हजार किसान मित्रों को सरकार से लगी आश


टाइम्स ऑफ़  कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के बावन हजार किसान मित्रों के भविष्य का फैसला आज भी अधर में लटका हुआ है।किसान मित्रों को अभी भी आश लगी है कि कोई आयेगा और हमें फिर अपने से जोड़ कर हमें बेकार होने से बचा लेगा।  

प्रदेश के किसानो के कृषि सम्बन्धी जानकारी देने हेतू सरकार द्वारा किसान मित्रों का चुनाव कर प्रशिक्षण देने के उपरान्त कृषि विभाग द्वारा योजना को बन्द करने पर बावन हजार किसान मित्र बेकार हो गये अपनी बेकारी को दूर करने के लिए अनवरत विगत पांच बर्षो से आन्दोलन चला रखे है इधर किसानो को किसान मित्रो से व वर्तमान प्रदेश सरकार से बहुत अपेक्षाऐ है।

ज्ञातव्य हो कि पूर्व प्रदेश सरकार ने पाच वर्ष पूर्व एक बृहद योजना के अन्तर्गत किसान सहायको के स्थान किसान मित्रों के चयन  की प्रकिया प्रारम्भ की। जिसके अर्हता में कोई योग्यता का निर्धारण निश्चित तौर पर नहीं रखा गया । तत्कालीन प्रदेश के कृषि मंत्री ने इस कार्ययोजना पर वृहत प्रदेश स्तर पर कृषि वैज्ञानिको व कृषि विभाग के अधिकारियो के साथ बैठ़क कर किसान किसान मित्र योजना की शुभारम्भ कीं। क्योकि किसानो से सीधा संम्पर्क सरकारी तंत्र के रूप में किसान सहायक ही करते थे। किसान को कृषि सम्बधित जानकारियां चाहे तकनीकी हो या सरकारी योजनाओं की सब इन्हीं लोगो के द्वारा दी जाती थी। । इसी की पूर्ति हेतु सरकार ने किसान मित्रो के चयन की प्रकिया शुरू की। इस चयन प्रकिया में एक प्रयोग करके प्रगतिशील पढ़े लिखे किसानो को इसमें जोड़ा गया। जो पिछले अगस्त 2003 माह तक चला। किन्तू प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने इसमें संशोधन कर स्नातक व कृषि स्नातको को इस किसान मित्र योजना मे पुनः नये सिरे से चयन की प्रकिया शुरू की तथा इन किसान मित्रो के चयन के बाद चार चार दिन का प्रशिक्षण भी राजकीय कृषि विद्यालयो में दिलाया गया। 

वैसे सरकारी सूत्र बताते है कि किसानो मित्र किसान सहायको की जगह पर राज्य सरकार की किसान मित्र योजना एक प्रयोग था। बिगत बिधान सभा चुनाव के पूर्व बसपा सरकार ने योजना बन्द कर दी। तभी से किसान मित्र आन्दोलनरत है, और न्याय के लिए लगे हुए है। इस सम्बन्ध में किसान मित्र संगठन के पदाधिकारी भानु प्रताप ने बताया कि हम आन्दोलन कर रहे है कभी तो कोई सरकार आयेगी और हमारी मांग पूरी होगी।